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कानपुर
गोल चौराहे से रामादेवी तक बनने वाले 11 किमी के एलीवेटेड रोड की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) अभी तक फाइनल नहीं हो सकी है। इस मामले में मंत्रालय से फटकार लगाए जाने के बाद इंजीनियरों ने हेक्सा कंपनी की टीम को कार्यालय में तलब कर लिया है।
अब पीडब्ल्यूडी एनएच के इंजीनियर और हेक्सा कंपनी की टीम आमने-सामने बैठकर डीपीआर की सभी कमियां दूर करेगी। बीते छह माह से डीपीआर नहीं बन पाने के कारण इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल पा रही है।
हेक्सा कंपनी डीपीआर में अभी तक सुधार नहीं कर सकी है। ऐसे में कंपनी के कार्यों पर सवाल उठ रहे हैं। एलीवेटेड रोड बनाने के लिए लगभग 1230 करोड़ रुपये का बजट खर्च होना है। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से बजट की स्वीकृति मिलेगी।
बीती चार अप्रैल को हेक्सा कंपनी ने लगभग 500 पन्नों में एलीवेटेड रोड की डीपीआर बनाकर पीडब्ल्यूडी एनएच के अधिशासी अभियंता को आनलाइन भेजी थी, इसके एक सप्ताह बाद हार्डकापी कार्यालय भेजी। अधिशासी अभियंता अरुण कुमार जयंत ने हार्डकापी आने के बाद डीपीआर चेक की तो उसमें कई कमियां मिली। उसे कंपनी को वापस करके कमियां दूर करने के निर्देश दिए गए।
वहीं, मंत्रालय ने फरवरी में डीपीआर एक माह में फाइनल करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन विभागीय शिथिलता और हेक्सा कंपनी की देरी से एलीवेटेड रोड की डीपीआर नहीं बन पाई।
इस मामले में मंत्रालय से सख्त निर्देश के बाद पीडब्ल्यूडी एनएच लखनऊ मुख्यालय के अधिकारियों को तलब करते हुए तत्काल डीपीआर पूरी करने के निर्देश दिए।
मुख्यालय के अधिकारियों ने पीडब्ल्यूडी एनएच के कार्यालय में हेक्सा की टीम को बुलाकर आमने-सामने बैठकर सभी कमियों को दूर करके डीपीआर पूरी करने के लिए कहा है।