क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा सीमा कुमारी ने 21 अप्रैल से 26 अप्रैल तक डाइट गिद्धौर में पांच दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जिले के 240 शिक्षकों को सूची में अजीत कुमार मेहता का भी नाम शामिल कर लिया था। इसमें विभाग की किरकिरी हुई थी।
क्या परलोक से देना होगा जवाब?
अब सवाल यह है कि क्या अब परलोक से भी जवाब देना होगा? क्या अब स्वर्ग में भी प्रशिक्षण का पाठ पढ़ाया जाएगा? मृत शिक्षक अजीत कुमार मेहता से स्पष्टीकरण का जवाब तो नहीं मिलेगा, फिर विभाग उन पर अर्थ दंड अधिरोपित करेगा, पर दंड वसूली के लिए परलोक कौन जाएगा? स्वजन स्तब्ध हैं और शिक्षा विभाग पर सवाल उठा रहे हैं।
वहीं, बुद्धिजीवियों ने इस विभागीय लापरवाही पर चुटकी लेते हुए कहा कि कागजों में जिंदा रखने की यह सरकारी आदत आखिर कब सुधरेगी? रिकॉर्ड अपडेट न होने की लापरवाही अब मृतकों को भी चैन से नहीं रहने दे रही है। विभाग द्वारा बार-बार दोहराई जा रही यह गलती कतई मानवीय भूल नहीं माना जा सकता। शिक्षा विभाग में संवेदना से ज्यादा फाइलों को महत्व दिया जाता है।