इसके पहले भी भारत ने दिसंबर, 2023 में यूएन को बताया था कि कैसे लश्कर और जैश जैसे आतंकवादी संगठन टीआरएफ जैसे छोटे आतंकी संगठनों के जरिए अपना काम कर रहे हैं। यह इस बात से भी साबित होता है कि पाकिस्तान ने अप्रैल, 2025 में यूएन की सूची से टीआरएफ को हटाने के लिए दबाव बनाया था। पाकिस्तान पहले से ही आतंकवादी संगठनों को पनाह देने वाले देश के तौर पर चिन्हित है। दूसरी तरफ पाकिस्तान विश्व बिरादरी और वैश्विक संगठनों को इस बारे में गुमराह करता है।

संयुक्त राष्ट्र ने की थी पहलगाम हमले की निंदा

मिसरी ने साजिद मीर का उदाहरण दिया कि कैसे पाकिस्तान सरकार ने पहले उसके मारे जाने की सूचना दी लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा तो उसको गिरफ्तार भी कर लिया। विदेश सचिव ने आगे कहा कि, “पहलगाम हमले के बाद जम्मू व कश्मीर और पूरे देश में बहुत ज्यादा गुस्सा देखा गया है। वैसे भारत सरकार ने 23 अप्रैल को कुछ कदम उठाये थे लेकिन यह जरूरी समझा गया कि 22 अप्रैल के घटना को अंजाम देने वालों और उनके समर्थकों पर न्यायसंगत कार्रवाई हो।

हमले के एक पखवाड़े बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान की तरफ से अपने भौगोलिक क्षेत्र में छिपे आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टा वह दूसरों पर आरोप लगाने और उक्त घटना से इनकार करता रहा।”
विदेश सचिव मिसरी ने आपरेशन सिंदूर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से 25 अप्रैल, 2025 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के संदर्भ में देखने की भी बात कही। पहलगाम हमले की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि, इस हमले के साजिशकर्ताओं, उनको संगठित करने वालों, वित्त सुविधा देने वालों और प्रवर्तकों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन पर न्यायोचित कार्रवाई होनी चाहिए।