पहलगाम हमले के बाद भारत-जापान की एकजुटता पर होगा जोर
पहलगाम हमले के बाद उत्पन्न हुए भौगोलिक-राजनीतिक हालात इस बैठक का एक अहम हिस्सा होंगे। उम्मीद है कि दोनों नेता इस हमले के बाद क्षेत्र में बनी स्थिति और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की जरूरत पर चर्चा करेंगे।
रक्षा औद्योगिक सहयोग और सैन्य समझौते पर होगा मंथन
यह राजनाथ सिंह और जन नाकातानी के बीच दूसरी मुलाक़ात होगी। इससे पहले दोनों नवंबर में लाओस में ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान मिले थे। उस वक़्त उन्होंने सप्लाई और सर्विसेज़ के पारस्परिक समझौते (Reciprocal Provision of Supply and Services Agreement) पर बातचीत की थी, जो दोनों सेनाओं की interoperability यानी सहयोग क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था।अगर यह समझौता आगे बढ़ता है तो भारत और जापान की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल मरम्मत और रसद (repair and replenishment) के लिए कर सकेंगी। यह द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी होगी चर्चा
बैठक में पूर्वी और दक्षिण चीन सागर (East and South China Seas) में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की समीक्षा भी की जाएगी। ये इलाके रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माने जाते हैं। दोनों देश इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के प्रति अपनी साझी प्रतिबद्धता जताने की संभावना रखते हैं।
सरकारी बयान में कहा गया, “भारत और जापान के बीच हाल के वर्षों में रक्षा आदान-प्रदान तेजी से बढ़े हैं। रणनीतिक मुद्दों पर बढ़ती सहमति के चलते ये सहयोग और भी महत्वपूर्ण हो गया है, ख़ासतौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।”
भारत-पाक तनाव पर भी रहेगी नजर
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात और बढ़ती जंग जैसी बयानबाजी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव घटाने की अपील कर रहा है। ऐसे वक्त में भारत-जापान जैसे साझेदार देशों की आपसी एकजुटता और रणनीतिक संवाद और भी अहम हो जाते हैं।