गोविंदपुर(नवादा)
बिहार का कश्मीर कहे जाने वाले नवादा जिले के गोविंदपुर प्रखंड अंतर्गत ककोलत जलप्रपात में पर्यटकों की सुरक्षा के नाम पर वन विभाग के चंद लाठी वाले वर्दीधारी वनकर्मी तैनात हैं।
यहां सुरक्षा के लिहाज से जरूरी आर्म्ड फोर्स (सशस्त्र सुरक्षा बल ) की तैनाती नहीं है। अपनी शीतलता के लिए बिहार समेत पूरे देश में मशहूर ककोलत जलप्रपात का आनंद उठाने के लिए पूरे गर्मी के सीजन में हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं।
इनमें बच्चे, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग सभी उम्र के लोग शामिल होते हैं। ऐसे में ककोलत जलप्रपात में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने बेहद जरूरी हैं। ककोलत जलप्रपात झारखंड-बिहार की सीमा पर अनेक पर्वत श्रृंखलाओं की ऊंची पहाड़ी से शीतल जल के रूप में सदियों से सैलानियाें को आकर्षित करता रहा है।
अप्रैल से अगस्त माह तक हर दिन यहां ठंडे पानी में नहाने और वहां की खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठाने के लिए हजारों सैलानी पहुंचते हैं। बिहार सहित झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, म.प्र., उप्र. समेत दूसरे राज्यों से भी सैलानी यहां आते हैं।
गया जिला स्थित बोधगया में आए विदेशी पर्यटक भी ककोलत का आनंद उठाने आते हैं। ककोलत जलप्रपात का पूरा इलाका जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुंआ है। यहां से नक्सल थाना थाली की दूरी करीब एक किमी. है। जरूरत पड़ने पर यहीं से आर्म्स पुलिस बल को बुलाया जाता है।
सुरक्षा के नाम पर वर्दीधारी 15 वनकर्मी और 35 की संख्या में तैनात हैं वाचर
जानकारी के अनुसार वन विभाग अपनी तरफ से 15 की संख्या में वर्दी पहने हुए वन विभाग के कर्मी को लाठी के साथ तैनात किए हुए हैं। इसमें कुछ महिलाएं भी हैं और पुरुष भी। इसके अलावा पूरे क्षेत्र पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने 35 वाचर को भी इस क्षेत्र में भीड़ पर नजर रखने के लिए तैनात किए हुए हैं।
एक साथ अत्यधिक भीड़ होने के बाद इन सुरक्षा कर्मियों को परेशानी होती है। यहां ककोलत द्वार से अंदर प्रवेश करते समय लोग अथवा उनके पास रहे सामान की अच्छी तरह से जांच के लिए मेटल डिटेक्टर भी लगा हुआ नहीं है। वन विभाग के कर्मी ही सामान की जांच करते हैं। हालांकि, दैनिक जागरण से बातचीत में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने ककाेलत में सुरक्षा जांच के लिए मेटल डिटेक्टर लगाने की जरूर बात कही है।
सामान को सुरक्षित रखने के लिए उपलब्ध है लाकर
ककोलत आने वाले पर्यटकों से सोमवार से शुक्रवार तक 10 रुपए का शुल्क लिया जाता है। जबकि शनिवार और रविवार को अधिक भीड़ होती है। उस दिन पर्यटकों से 20 रुपए लिए जाते हैं। मंगलवार को ककोलत सैलानियों के लिए बंद रहता है। वन विभाग ने सैलानियों के सामान को सुरक्षित रखने के लिए लाकर की सुविधा उपलब्ध करा रखी है।
बीते 7 दिनों में 60 हजार सैलानी पहुंचे ककोलत
बीते सात दिनों में करीब 60 हजार सैलानी ककोलत पहुंच चुके हैं। बीते 20 अप्रैल को रविवार के दिन 12 हजार , सोमवार को आठ हजार, मंगलवार को वीकली छुट्टी, बुधवार को छह हजार, गुरुवार को सात हजार, शुक्रवार को नौ हजार व रविवार को 11 हजार पर्यटक यहां पहुंचे।
3 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री ने ककोलत में विकास कार्यों का किया था लोकार्पण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते तीन अगस्त 2024 को ककोलत में करीब ढाई साल तक हुए विकास कार्योंं का लोकार्पण किया था। यहां पर पहुंचने वाले सैलानियों की सुविधा के लिए करीब 16 करोड़ रुपये से अनेक विकास कार्य कराए गए। अपने नए लुक में अब ककोलत पहले से अधिक सुंदर और सुव्यवस्थित दिखता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
ककोलत में फिलहाल एक भी आर्म्स फोर्स की तैनाती नहीं है। वन विभाग के 15 वर्दीधारी कर्मी व 35 वाचर सुरक्षा कार्य में लगाए गए हैं। यहां आने वाले सभी सैलानियों के सामान की जांच की जाती है। ककोलत में सुरक्षा के लिहाज से आर्म्स फोर्स की जरूरत है। इस संबंध में समन्वय समिति की बैठक में वरीय अधिकारियों के समक्ष बात रखी गई है। श्रेष्ठ कुमार कृष्ण, डीएफओ, नवादा।
ककोलत जलप्रपात क्षेत्र में सैलानियों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जल्द ही समीक्षा की जाएगी। इसके बाद नियमानुसार व्यवस्था की जाएगी। अभिनव धीमान, एसपी, नवादा।