ड्राई फ्रूट के 35 ट्रकों को वाघा सीमा पर ही रोका
ड्राई फ्रूट की मांग सर्दियों में होती है
इस सीजन की बात करें तो ज्यादातर माल अफगानिस्तान से आ चुका है और कोल्ड स्टोर में लग चुका है, जबकि दस प्रतिशत के आसपास माल नहीं आया है। चूंकि ड्राई फ्रूट की मांग सर्दियों में होती है, ऐसे में अभी इनके दाम में कोई भी बढ़ोतरी नहीं हुई है।
राष्ट्रीय हित से ऊपर कुछ भी नहीं है
फेडरेशन ऑफ किराना एंड ड्राई फ्रूट कामर्शियल एसोसिएशन के प्रधान अनिल मेहरा का कहना है कि अफगानिस्तान के साथ व्यापार बढ़ रहा था, लेकिन अब एक बार फिर यह ठप हो गया है। राष्ट्रीय हित से ऊपर कुछ भी नहीं है।
अफगानिस्तान भारत पर 99 प्रतिशत निर्भर
अनिल मेहरा ने बताया कि अफगानिस्तान से भारत को होने वाले निर्यात में 99 प्रतिशत हिस्सा कृषि और उससे जुड़े उत्पादों का है। वहां पर तख्ता पलट के बाद इस सेक्टर पर काफी असर पड़ा था। बादाम, अंजीर, किशमिश, मुनक्का, खजूर, खुबानी जैसे ड्राई फ्रूट के फार्म बंद हो गए थे।
स्थिति सुधरने के बाद उस तरफ कुछ राहत रही, लेकिन अब यह स्थिति इस पर और विपरीत असर डालेगी। उनका कहना है कि इस रूट से व्यापार बंद हो गया है, लेकिन समुद्री मार्ग से हो रहा है और यह काफी महंगा पड़ता है।
इस सीजन का ज्यादातर माल आ चुका है और कोल्ड स्टोर में लग चुका है
नतीजतन इनके भाव में अब फिर से तेजी होना तय है। इस सीजन का ज्यादातर माल आ चुका है और कोल्ड स्टोर में लग चुका है, जबकि दस प्रतिशत के आसपास ही माल आने वाला बचा है।