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नई दिल्ली
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण की लगातार निगरानी की जा रही है। यह पाया गया कि निगरानी वाले 33 में से 22 जगहों पर यमुना नदी का पानी वर्ष 2024 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुपालन मानकों के अनुरूप नहीं था।
संसद की स्थायी समिति के समक्ष मंत्रालय द्वारा दिए गए पावर पाइंट प्रेजेंटेशन में कहा गया है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में क्रमशः सभी सात और 12 स्थान “स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड” पर विफल रहे, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सभी चार-चार स्थान गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरे।
हरियाणा में यमुना के छह स्थानों में से तीन आवश्यक शर्तों को पूरा करते हैं, जबकि कई विफल रहे। पर्याप्त सीवेज उपचार की कमी, दिल्ली में अप्रयुक्त नाले, जो प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हैं, यमुना में प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारण हैं।
प्रदूषक तत्वों का तय मानक
फेकल कोलीफार्म
प्रति 100 मिली पानी में 500 एमपीएन होना चाहिए। 2,500 एमपीएन से अधिक होने पर यह उपयोग लायक नहीं रह जाता।
जैव रसायन आक्सीजन मांग (बीओडी): तीन मिलीग्राम प्रति लीटर
घुलनशील आक्सीजन (डीओ): पांच मिलीग्राम प्रति लीटर