किस अध्याय में क्या
– दिल्ली की भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल।
– दिल्ली का हरित आवरण और जनसंख्या का शहरीकरण तेजी से बढ़ा है।
अध्याय दो : दिल्ली में लू और इस प्लान की जरूरत
– मौसम विभाग के मानों के अनुरूप लू की परिभाषा।
– स्वास्थ्य पर प्रभाव: डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, मृत्यु।
– दिल्ली में गर्म दिनों की संख्या में वृद्धि।
– संवेदनशील क्षेत्र और समूह : स्लम बस्तियां, निम्न आय वर्ग, बुजुर्ग, बच्चे, महिला, दिव्यांग।
– वार्ड-वार स्तर पर चिन्हित किए गए “थर्मल हाटस्पाट”।
अध्याय तीन : रणनीति, भूमिका और जिम्मेदारियां
– लाभ : जान बचाना, बीमारी कम करना, अर्थव्यवस्था को नुकसान से बचाना।
– मुख्य रणनीति : अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करना।
– स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण।
– जन-जागरूकता कार्यक्रम।
– गैर-सरकारी और नागरिक संगठनों से सहयोग।
– स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए विशेष उपचार प्रोटोकाल विकसित।
अध्याय चार : लू प्रबंधन के लिए जिम्मेदारियां
– विभिन्न विभागों की भूमिकाएं तय : डीडीएमए, एमसीडी, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, परिवहन विभाग आदि।
– पूर्व-हीट सीजन, हीट सीजन और पोस्ट-हीट सीजन के लिए अलग-अलग गतिविधियां।
– अस्पतालों में “हीट वेव वार्ड” बनाने के निर्देश।
– बस अड्डों, सड़कों, बाजारों में जल वितरण और शीतलन स्थानों की व्यवस्था।
अध्याय पांच : अनुकूलन और शमन उपाय
– हरित क्षेत्र बढ़ाना, जल संरक्षण, “कूल रूफ” तकनीक को अपनाना।
– ऊर्जा दक्षता बढ़ाना।
– अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव को कम करने के उपाय।
– सामुदायिक भागीदारी के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटना।
अध्याय छह : क्रियान्वयन योजना
– स्पष्ट समयसीमा और विभागवार कार्ययोजना।
– हीट अलर्ट इश्यू करना, स्वास्थ्य निगरानी, प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
– समीक्षा और सुधार के लिए पोस्ट-हीट सीजन मूल्यांकन।
हीट एक्शन प्लान के अन्य प्रमुख निर्देश
– हर जिले के लिए विशेष हीटवेव प्रबंधन गतिविधियां।
– जिम्मेदार अधिकारियों और समयसीमा का उल्लेख।
– पोस्टर, टीवी, डिजिटल अभियान।
– स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थलों पर जन-जागरूकता सामग्री वितरण।
– श्रमिकों के लिए कार्य समय में बदलाव।
– निर्माण स्थलों पर ओआरएस, बर्फ के पैकेट उपलब्ध कराना।
– लू के दौरान करने और न करने योग्य बातें।
– जनता के लिए सरल सुझाव: अधिक पानी पीना, हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनना, दोपहर के समय बाहर जाने से बचना आदि।