क्यों उठ रहे हैं ये सवाल?
जांच में सामने आईं कमियां
इंजीनियरों को जांच से रखा गया अलग
पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन 102 फ्लाईओवरों की निरीक्षण के दौरान फ्लाईओवरों के रखरखाव का काम देखने वाले इंजीनियरों को जांच से अलग रखा गया, ताकि सही तस्वीर सामने आ सके। पीडब्ल्यूडी के विशेष सचिव को इस पूरी मुहिम की निगरानी करने के लिए लगाया गया।
फ्लाईओवरों के नीचे और किनारे कराई जाएंगी पेंटिंग
इस तरह के आर्ट वर्क को बढ़ावा दिया जाएगा जो फ्लाईओवरों से गुजरने वाले वाहन चालकों को अच्छा लगे और आंखों में भी न चुभे। फ्लाईओवरों के नीचे और किनारे पेंटिंग कराई जाएंगी। जरूरत के हिसाब से रिसर्फेसिंग, फुटपाथ व सेंट्रल वर्ज के साथ मौजूदा ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाना शामिल है।
इन फ्लाईओवरों के रखरखाव में कमियां
इन फ्लाईओवरों के रखरखाव में कमियां मिली हैं। इसमें छोटी मोटी टूट फूट और साफ सफाई आदि के मामले शामिल हैं। इसमें कर्मपुरा फ्लाईओवर, शाहदरा फ्लाईओवर, नंदनगरी फ्लाईओवर, बुराड़ी फ्लाईओवर, मोदी मिल फ्लाईओवर, मायापुरी फ्लाईओवर, नारायणा फ्लाईओवर, सावित्री सिनेमा फ्लाईओवर, सरिता विहार फ्लाईओवर, मंगोलपुरी फ्लाईओवर, जखीरा फ्लाईओवर, रानी झांसी फ्लाईओवर, नांगलोई फ्लाईओवर, मोती नगर चौक फ्लाईओवर व शादीपुर फ्लाईओवर आदि शामिल हैं।
क्यों जरूरी हैं फ्लाईओवरों पर ध्वनि अवरोधक
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीआरआरआइ) के अनुसार शहर में 12 से 13 गुना ज्यादा शोर है। रेजिडेंशियल एरिया में दिन में 55 डेसिबल (ए) और रात में 45 डेसिबल(ए) तक शोर होना चाहिए। लेकिन शहर में फ्लाईओवरों के आसपास 75 से 83 डेसिबल के बीच ध्वनि प्रदूषण दर्ज हो रहा है। दिल्ली में 128 फ्लाईओवरों में से 50 फ्लाईओवर ऐसे हैं, जहां पर ध्वनि प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा दर्ज की गई है।
सीआरआरआइ के अध्ययन में कहा गया है कि ध्वनि अवरोधक लगा कर ध्वनि प्रदूषण पर कंट्रोल किया जा सकता है। पहला ये साउंड को एब्जार्ब करेंगे और दूसरा वाहनों से आने वाले शोर को ऊपर की तरफ भेजेंगे। इससे ध्वनि बैरियर को पार नहीं कर पाएगी। शोर ऊपर की ओर चला जाएगा।