भारत और चीन की आबादी एक अरब से अधिक है। फिर भी दोनों देशों के संबंध जटिल हैं। विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने भारत-चीन रिश्ते की मुख्य चुनौती को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि आज, दोनों देश ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं; यही चुनौती है
अमेरिका में सरकार बदलने के बाद वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव पर लगातार बात हो रही है। इतिहास के व्यापारिक टकराव के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभालने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना दोस्त बताया। खबरों में ये भी दावा किया गया कि चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने सबसे पहले जिनपिंग को आमंत्रित किया था। भारत के पड़ोसी देश के साथ अमेरिका की बढ़ती नजदीकी के क्या मायने हैं? अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल को भारत कैसे देखता है? चीन के साथ भारत के संबंधों में सबसे बड़ी चुनौती क्या है? इन तमाम सवालों पर विदेश मंत्री ने लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान बेबाकी से जवाब दिए। जानिए चीन के साथ रिश्ते पर जयशंकर का रूख
भारत चीन के साथ किस तरह का रिश्ता चाहता है? यह पूछे जाने पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘हमारे बीच बहुत ही अनोखे रिश्ते हैं। सबसे पहले, हम दुनिया के दो ऐसे देश हैं जिनकी आबादी एक अरब से अधिक है। हम दोनों का इतिहास बहुत पुराना है, जिसमें समय के साथ उतार-चढ़ाव आए हैं।’
पड़ोसियों के साथ इसलिए बदलता है संतुलन
उन्होंने कहा, ‘आज, दोनों देश ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं; यही चुनौती है, और हम सीधे पड़ोसी भी हैं। चुनौती यह है कि जैसे-जैसे कोई देश आगे बढ़ता है, दुनिया और उसके पड़ोसियों के साथ उसका संतुलन बदलता है। जब इस आकार, इतिहास, जटिलता और महत्व वाले दो देश समानांतर रूप से आगे बढ़ते हैं, तो वे अनिवार्य रूप से परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं।’
चीन के साथ कैसे संबंध चाहता है भारत
बकौल डॉ जयशंकर, भारत और चीन के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कैसे एक स्थिर संतुलन बनाया जाए और संतुलन के अगले चरण में पहुंचा जाए। हम एक स्थिर संबंध चाहते हैं, जहां हमारे हितों का सम्मान किया जाए, हमारी संवेदनशीलता को पहचाना जाए। हालात ऐसे बनें जहां दोनों देशों के लिए स्थिति बेहतर हो। वास्तव में हमारे रिश्ते में यही मुख्य चुनौती है।’
सीमा पर अशांति को लेकर क्या असर पड़ेगा?
भारत के लिए, सीमा एक महत्वपूर्ण पहलू है। पिछले 40 वर्षों में, यह धारणा रही है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता रिश्ते को बरकरार रखने के साथ-साथ मजबूत बनाने के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा, अगर दोनों देसों की सीमा अस्थिर है, शांतिपूर्ण नहीं है, या उसमें शांति का अभाव है, तो यह अनिवार्य रूप से हमारे संबंधों के विकास और दिशा को प्रभावित करेगा।
अमेरिका के साथ संबंधों पर भी बोले
चीन के साथ रिश्ते के अलावा ट्रंप ने अमेरिकी विदेश नीति और ‘अमेरिकी डॉलर के बदले दूसरी मुद्रा’ को लेकर ब्रिक्स देशों की सोच पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी नीतियों को लेकर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। जयशंकर ने कहा कि फिलहाल सबकी प्राथमिकता यही है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता कैसे बरकरार रखी जाए, अमेरिकी डॉलर इसका प्रमुख स्रोत है। ब्रिक्स में कई देश शामिल हैं और कई देशों की राय अलग है।