Thursday, April 10, 2025
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US vs Greenland: देश में संसदीय चुनाव से पहले ट्रंप को ग्रीनलैंड के PM का दो टूक जवाब- बिकाऊ नहीं है हमारा देश

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अमेरिकी राष्ट्रपति ग्रीनलैंड पर नियंत्रण हासिल करने के मुद्दे पर आक्रामक हैं। हालांकि, ताजा घटनाक्रम में ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनका देश बिकाऊ नहीं है। उनका यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि ग्रीनलैंड में आगामी 11 मार्च को संसदीय चुनाव कराए जाने हैं।

ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उनका द्वीप बिकाऊ नहीं है। पीएम म्यूटे बोरुप एगेडे ने बुधवार को कहा कि ट्रंप भले ही इस द्वीप पर नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं, लेकिन यह बिक्री वाली जगह नहीं है। उनका बयान दोनों देशों के बीच टकराव को जन्म दे सकता है। प्रधानमंत्री म्यूटे के इस जवाब से कुछ ही देर पहले ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में अपने उस संकल्प को दोहराया कि वह ग्रीनलैंड पर ‘किसी न किसी तरह’ नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं।

फेसबुक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति को दिया जवाब
ट्रंप के जवाब में पीएम म्यूटे ने अपने देश के लिए ग्रीनलैंडिक नाम का इस्तेमाल कर फेसबुक पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा, ‘कलालिट नुनात हमारा है।’ (Kalaallit Nunaat is ours)। ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने साफ किया, ‘हम अमेरिकी या डेनिश नहीं बनना चाहते; हम कलालिट हैं। अमेरिकियों और उनके नेताओं को यह समझना चाहिए।’ हम बिक्री के लिए नहीं हैं और हमें आसानी से नहीं लिया जा सकता। हमारा भविष्य ग्रीनलैंड में हम ही तय करेंगे।

ग्रीनलैंड के लोगों में आक्रोश
प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट के अंत में मुट्ठी बंद करने वाले इमोजी और ग्रीनलैंडिक झंडे का भी इस्तेमाल किया। 
यह घटनाक्रम इसलिए भी रोचक है क्योंकि कड़ाके की ठंड से बेपरवाह ग्रीनलैंड के लोगों को अमेरिका के खिलाफ सड़कों पर देखा गया। बुधवार की दोपहर तापमान 4 डिग्री से भी कम (माइनस 20 सेल्सियस) था, इसके बावजूद लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के खिलाफ मुखरता से आवाज उठा रहे हैं।

ग्रीनलैंड में संसदीय चुनाव से पहले ट्रंप का बयान
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड में आगामी 11 मार्च को संसदीय चुनाव होना है। इस देश के मतदाताओं से सीधी अपील करते हुए ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, ‘हम आपके अपने भविष्य को निर्धारित करने के अधिकार का दृढ़ता से समर्थन करते हैं। अगर आप चाहें, तो हम आपका अमेरिका में स्वागत करते हैं।’ लुभावने वादे करते हुए ट्रंप ने यह भी कहा, ‘हम आपको सुरक्षित रखेंगे। हम आपको अमीर बनाएंगे। और साथ मिलकर हम ग्रीनलैंड को ऐसी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे, जैसा आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा।’

ग्रीनलैंड के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
ट्रंप की टिप्पणियों के बारे में डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन ने कहा, उन्हें नहीं लगता कि ग्रीनलैंड के लोग केवल ‘अमेरिका का एक एकीकृत हिस्सा’ बनने के लिए डेनमार्क से अलग होना चाहते हैं। रासमुसेन ने फिनलैंड की यात्रा के दौरान कहा, ‘मैं इस बारे में ग्रीनलैंड के निर्णय के बारे में बहुत आशावादी हूं। वे डेनमार्क के साथ अपने संबंधों को कम करना चाहते हैं। हम इस पर काम कर रहे हैं, ताकि अधिक समान संबंध हो सकें।’ विदेश मंत्री के मुताबिक अगले सप्ताह के चुनावों में ‘किसी भी तरह का अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप न होना’ और स्वतंत्र-निष्पक्ष मतदान महत्वपूर्ण है।

अमेरिकी तेवरों पर ग्रीनलैंड के निवासियों में आशंका का माहौल
18 वर्षीय छात्रा लिसा आर्डेस्ट्रप इस बात से चिंतित है कि अमेरिका का हिस्सा बनने से ग्रीनलैंड के पर्यावरण और मछली पकड़ने के उद्योग को नुकसान पहुंचेगा। देश के निर्यात का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा मत्स्यपालन उद्योग का है। अमेरिकी नियंत्रण से मुद्रास्फीति और उच्च कर दरों को बढ़ावा मिलने की आशंका है।’ राष्ट्रपति ट्रंप के बयान का विरोध करते हुए लिसा ने कहा, ‘यह एक बुरा विचार है, और हम बस अपने छोटे से द्वीप की तरह ही रहना चाहते हैं जो किसी भी चीज से अधिक स्वतंत्र है। लिसा ने स्कूल में गोलीबारी, राजनीतिक नाराजगी और बेघर होने की घटनाओं को लेकर भी चिंतित हैं। उन्हें डर है कि अमेरिका में ऐसी घटनाओं पर खबरों की भरमार है। ऐसे में आने वाले दिनों में ग्रीनलैंड की संस्कृति पर भी खतरा होगा। उन्होंने अपने माता-पिता की कहानियों से यहां की महान संस्कृति के बारे में सीखा है। यहां आप बहुत प्यारी और दीर्घकालिक मित्रता करते हैं। मुझे ग्रीनलैंड के बारे में यह बात बहुत पसंद है।

क्या जनमत संग्रह से होगा फैसला
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड के लोगों ने 2009 के जनमत संग्रह में स्वशासन के पक्ष में भारी मतदान किया था। इससे स्वतंत्र अस्तित्व का रास्ता साफ हुआ। जब भी इस द्वीप के लोग जनमत संग्रह जैसे फैसलों का समर्थन करते हैं, तो पहले से निर्धारित शर्तों के तहत, डेनमार्क ग्रीनलैंड की रक्षा और विदेशी मामलों के लिए जिम्मेदार होता है। अन्य मामलों को स्थानीय सरकार नियंत्रित करती है। भले ही जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अधिकांश ग्रीनलैंडवासी अमेरिका का हिस्सा नहीं बनना चाहते, लेकिन हर कोई इससे सहमत नहीं है। कुछ लोग इस बात से रोमांचित भी हैं कि ट्रंप ग्रीनलैंडवासियों को अमेरिका का हिस्सा बनने का मौका दे सकते हैं।

क्यों अहम है ग्रीनलैंड?
ग्रीनलैंड एक विशाल खनिज-समृद्ध द्वीप है जो उत्तरी अटलांटिक में रणनीतिक समुद्री मार्गों के किनारे स्थित है। ग्रीनलैंड, डेनमार्क का एक स्वशासित क्षेत्र है जिसकी आबादी लगभग 56,000 है। ग्रीनलैंड कनाडा के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित है, जो कोपेनहेगन की तुलना में वाशिंगटन के अधिक नजदीक है।

ग्रीनलैंड रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
इससे पहले जनवरी में ट्रंप के पदभार संभालने से करीब एक हफ्ते पहले ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूटे बी एगेडे ने कहा कि उनका देश अमेरिका का हिस्सा बनने की इच्छा नहीं रखता, लेकिन वे इस बात को समझते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ग्रीनलैंड में रुचि होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने सहयोग की प्रतिबद्धता प्रकट करते हुए साफ किया था कि ग्रीनलैंड के लोग अपनी स्वतंत्रता चाहते हैं और डेनमार्क या अमेरिका का हिस्सा नहीं बनना चाहते।

ग्रीनलैंड पर कब्जा, ट्रंप का पुराना सपना
ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाना डोनाल्ड ट्रंप का आज का सपना नहीं है। ये बात 2019 से चली आ रही है जब उन्होंने इसे एक रियल स्टेट सौदा बताया था। गौरतलब है कि ग्रीनलैंड अभी डेनमार्क के तहत एक स्वतंत्र राज्य है और इसकी रणनीतिक स्थिति के कारण इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय ध्यान है। बता दें कि 1945 में अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ग्रीनलैंड पर कब्जा कर लिया था लेकिन बाद में इसे डेनमार्क को वापस कर दिया। हालांकि आज भी ग्रीनलैंड के उत्तर-पश्चिम में एक अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थित है।

विदेशी चंदे पर रोक का कानून बना चुका है ग्रीनलैंड
इसी साल 20 जनवरी को ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद ग्रीनलैंड की संसद में विगत पांच फरवरी को अहम विधेयक पारित किया था। फरवरी में विदेशी चंदे पर रोक लगाने वाले विधेयक के कानून बनने के बाद कोई भी राजनीतिक दल विदेश से चंदा नहीं प्राप्त कर सकेगा। नए विधेयक के मुताबिक एक पक्ष से कुल 200,000 डेनिश क्रोनर (लगभग 27,700 डॉलर) से अधिक या एकल योगदानकर्ता से 20,000 क्रोनर (लगभग 2,770 डॉलर) से अधिक चंदा प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

ट्रंप के खिलाफ ग्रीनलैंड में नाराजगी
ट्रंप के देश कब्जाने वाली बात को लेकर ग्रीनलैंड के लोगों में लोगों में बड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है। जहां एक तरह ग्रीनलैंड एक छात्र ने गार्जियन को बताया कि हमारे देश को अमेरिकी नेतृत्व की जरूरत नहीं है। जब ग्रीनलैंड सरकार ने मजबूती के साथ कहा कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है तब मुझे थोड़ी राहत मिली। छात्र ने कहा कि मैं हमारे ग्रीनलैंड की स्वतंत्रता का पूरी तरीके से समर्थन करता हूं। साथ ही सिसिमियट नामक एक नागरिक गार्जियन से कहा कि मैं कभी भी ट्रंप का समर्थन नहीं करूंगा। और औपनिवेशिक काल में अमेरिकी लोगों ने मूल अमेरिकियों के साथ जो किया मैं उसका भी कभी समर्थन नहीं करूंगा।

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