Saturday, June 21, 2025
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रामायण वाटिका में फूलों से सजेंगे भगवान के स्वरूप, तीन दिवसीय पुष्प प्रदर्शनी सात मार्च से

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बीडीए की रामायण वाटिका में सात से नौ मार्च तक पुष्प प्रदर्शनी लगेगी। इसको लेकर तैयारी अंतिम दौर में है। रामायण वाटिका में फूलों से भव्य सजावट की जा रही है।

बरेली में दिल्ली और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों की तर्ज पर पहली बार पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी में फूलों से तैयार शिव और राम के विभिन्न स्वरूप आकर्षण का केंद्र बनेंगे। बीडीए (बरेली विकास प्राधिकरण) की रामायण वाटिका में सात, आठ व नौ मार्च को पुष्प प्रदर्शनी लगेगी।

पुष्प सप्ताह शुरू होने के साथ महाशिवरात्रि से पुष्प प्रदर्शनी की तैयारियों में तेजी की गई लेकिन इसके लिए बीडीए के अधिकारी करीब तीन महीने से जुटे हुए थे। अब तैयारियां अंतिम रूप में हैं। रामायण वाटिका भी सजने लगी है। इसमें फूलों की 45000 से अधिक प्रजातियों के पौधे पहले ही लग गए। अब इनमें फूल भी खिल रहे हैं।

रामायण वाटिका में दस गोलाकार टॉवर बनाए गए हैं जो वर्टिकल गार्डनिंग का उत्कृष्ट नमूना बनेंगे। रामसेतु का प्रतिरूप बांस से बनाया गया है। फूलों से सजाया जाएगा। राम, सीता, जटायु और हनुमान के स्वरूप फूलों से बनेंगे। नाथ नगरी का एहसास भी फूलों से बने स्वरूपों से होगा। फूल इस तरह से लगाए जाएंगे कि तीन दिन तक मुरझाएंगे नहीं। उन्हें भव्य रोशनी से जगमग किया जाएगा। शिवलिंग और नंदी के भी दर्शन होंगे। 

शिव के प्रतीक चिह्न भी फूलों से बनेंगे 
वाटिका के पंपा सरोवर से लेकर सेंट्रल गार्डन और प्रवेश द्वार पर भव्य रोशनी स्वागत करेगा। भगवान के स्वरूप बनाने में रजनीगंधा के बीस क्विंटल से अधिक फूल लग जाने का आकलन है। शिव और उनके प्रतीक चिह्न भी फूलों से बनेंगे। हजारों प्रजातियों के फूल देखने के लिए मिलेंगे। बीडीए ने पुष्प प्रदर्शनी इसके तहत ही फ्लावर वीक शुरू किया गया था, जिसमें महाशिवरात्रि पर विभिन्न चौराहों को सजाया गया। बीडीए के सचिव योगेंद्र कुमार का कहना है कि पुष्प प्रदर्शनी से समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

रामायण वाटिका में दिखेंगे राम वन गमन के प्रसंग 
रामायण वाटिका में राम वन गमन के प्रसंग दिखेंगे। वाटिका में चित्रकूट, दंडकारण्य, अशोक वाटिका, किसकिंधा और पंचवटी वाटिकाएं हैं। इसमें अशोक से लेकर ब्राह्मी तक के पौधे लगाए गए हैं। वाटिकाओं में उन सभी पौधों का जगह मिली है जिनका राम वन गमन प्रसंगों में उल्लेख है। मियावाकी पद्धति पर 16 हजार से अधिक पौधे लगाकर जंगल बनाया गया है। इसमें विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियां वास कर रही हैं। प्राकृतिक छटा निखर रही है। लोग अब इसे देखने के लिए पहुंचने लगे हैं।
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