केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों का असर कंपनियों के पंजीकरण में भी नजर आ रहा है। शहर में पहली बार सौर ऊर्जा, कृषि क्षेत्र और परिवहन से जुड़ी कंपनियों ने वड़ी संख्या में पंजीकरण कराया है। चमड़ा कंपनियों की रफ्तार भी ठीक है। पहले पंजीकरण में सबसे आगे रहने वाले रियल इस्टेट क्षेत्र में इस बार बहुत कम कंपनियां पंजीकृत हुई हैं। पंजीकृत कंपनियों में सबले बड़ा 14 प्रतिशत हिस्सा इस बार सौर ऊर्जा उत्पादक कंपनियों का रहा। करीब आठ फीसदी पंजीकरण चमड़ा और चर्म उत्पाद कंपनियों का हुआ। खास बात यह है कि कृषि क्षेत्र में भी 30 कंपनियों ने पंजीकरण करवाया। इनमें बीज उत्पादक व फूड प्रोसेसिंग कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा करीब 1र्प्रतिशत कंपनिया परिवहन, भंडारण और संचार के क्षेत्र पंजीकृत हुई हैं।
इसके अलावा हर बड़े लेनदेन या संपत्ति खरीद की जानकारी आयकर विभाग तक पहुंचतने का भी बड़ा असर पड़ा है। इस समय न तो शहर में कोई बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है, न ही संपत्तियों के दाम में उम्मीद के मुताबिक तेजी आ रही है। सर्किल रेट भी उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ने से रियल इस्टेट कंपनियों के पंजीकरण की रफ्तार धीमी पड़ी है। इसके उलट केंद्र और प्रदेश सरकार कृषि, सौर ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को लगातार बढ़ावा दे रही है। सौर ऊर्जा क्षेत्र में सब्सिडी तो कृषि क्षेत्र छूट और राहत दी जा रही हैं। इसका असर कंपनियों के पंजीकरण पर पड़ रहा है।
एक अप्रैल 2024 से 31 जनवरी 2025 तक शहर में एक हजार कंपनियां पंजीकृत हुईं। पिछले साल इस अवधि में 700 कंपनियां पंजीकृत हुई थीं। वहीं, उप्र का कंपनी पंजीकरण में पूरे देश में दूसरे स्थान पर हैं। पहले स्थान पर महाराष्ट्र है। उत्तर प्रदेष दो साल पहले तक चौषे स्थान पर था। अप्रैल से जनवरी तक में प्रदेश में 15590 कंपनियों का पंजीकरण हुआ जबकि इस अवधि में सबसे ज्यादा 16510 कंपनी पूरे महाराष्ट्र में बनी।दिल्ली में 12758 और पश्चिम बंगाल में 6618 कंपनियां इस अवधि में पंजीकृत हुईं।