सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में कैंसर से होने वाली मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है। अच्छी बात ये है कि कुछ प्रकार की सावधानियां बरतकर और टीकाकरण के माध्यम से इससे बचाव किया जा सकता है। एचपीवी वैक्सीनेशन इसमें बहुत कारगर पाई गई है।
सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर की महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारी है। हर साल ये लाखों लोगों को अपना शिकार बना रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 2022 में वैश्विक स्तर पर इस कैंसर के 6.60 लाख से अधिक मामले सामने आए, अकेले भारत में इसी साल 1.27 लाख महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का शिकार पाया गया। इतना ही नहीं 2022 में दुनियाभर में इस कैंसर के कारण 35 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई।
इसी को लेकर सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में एचपीवी वैक्सीन की दर बढ़ाने पर जोर दिया है, जिससे इस घातक कैंसर के प्रसार को कम करके वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर से मौत के मामलों में कमी लाई जा सके।
एचपीवी वैक्सीनेशन से कम होता है कैंसर का खतरा
एक सरकारी रिपोर्ट में इस बात के सबूत पेश किए गए हैं कि एचपीवी वैक्सीनेशन की दर को अगर बढ़ा दिया जाए तो ये युवा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को रोक सकती है।
इस रिपोर्ट में साल 2008 से 2022 तक सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की गई महिलाओं के बारे में जानकारी दी गई है। विशेषज्ञों ने बताया कि एचपीवी वैक्सीनेशन ने 20-24 के आयुवर्ग वाली इन महिलाओ में प्री-कैंसर स्टेज में होने वाले घाव और अन्य जटिलाओं की दर को लगभग 80% तक कम कर दिया है। मतलब कैंसर से जोखिमों को कम करने में इससे लाभ मिल सकता है।
वैक्सीन को लेकर पहले उठे थे सवाल
यहां गौरतलब है कि ये वैक्सीन काफी चर्चा में रही है। साल 2019 में एंटी-वैक्सीन नॉनप्रॉफिट चिल्ड्रन हेल्थ डिफेंस वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में अमेरिकी हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज के सेक्रेटरी रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने इसे “अब तक का सबसे खतरनाक वैक्सीन” कहा था, जिसपर लगातार सुनवाई चल रही थी।
हालांकि अब सीडीसी ने गुरुवार (27 फरवरी) को प्रकाशित अनुमानों में इसे सर्वाइकल कैंसर के रोकथाम की लड़ाई में काफी प्रभावी बताया है।
सर्वाइकल कैंसर का बढ़ता जोखिम
यहां जानना जरूरी है कि सर्वाइकल कैंसर, गर्भाशय में होने वाला कैंसर है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण को इसके लिए मुख्य कारण माना जाता रहा है। एचपीवी संक्रमण असुरक्षित यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, समय पर स्क्रीनिंग टेस्ट और एचपीवी संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण करवाने से इस कैंसर के जोखिमों को कम किया जा सकता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, 20 की उम्र तक की सभी लड़कियों को अपने डॉक्टर की सलाह से एचपीवी वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। साल 2006 से ही अमेरिका में 12 साल की लड़कियों को ये वैक्सीन दी जाने की सलाह दी जाती रही है। पुरुषों में सर्वाइकल कैंसर के मामलों को देखते हुए 2011 से इसी उम्र के लड़कों को भी टीके लेने की सलाह दी जा रही है।
क्या कहती हैं विशेषज्ञ?
कैंसर की रोकथाम को लेकर अध्ययन करने वाली शोधकर्ता जेन.आर मोंटेलेग्रे कहती हैं, वैक्सीनेशन के परिणामों को देखते हुए सभी माता-पिता को यह भरोसा होना चाहिए कि वे अपने बच्चों को एचपीवी वैक्सीन देकर उन्हें भविष्य के गंभीर खतरे से बचा रहे हैं।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ-एसईएआर) की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2022 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में कैंसर के कई प्रकार के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इसमें सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते खतरे को लेकर भी अलर्ट किया गया था। उन्होंने चिंता जताई है कि अगर यही गति जारी रहती है तो साल 2050 तक इस क्षेत्र में नए कैंसर के मामलों और इसके कारण मौत में 85 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।