Thursday, June 19, 2025
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सिबिल स्कोर को खराब कर देता है कर्ज सेटलमेंट, युवाओं के बीच तेजी से फैल रहा चलन

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कर्ज लेने में सिबिल स्कोर महत्वपूर्ण पैमाना है। स्कोर खराब हुआ तो वित्तीय संस्थान कर्ज देने से मना कर सकते हैं या अधिक ब्याज वसूल सकते हैं। स्कोर को बेहतर बनाने के लिए कभी भी कर्ज का सेटलमेंट न करें। इसका गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-
खराब प्रोफाइल वालों की पहचान करने और उनको कर्ज देने से बचने के लिए बैंकिंग व वित्तीय संस्थान लंबे समय से सिबिल स्कोर का उपयोग करते हैं। यह ऐसा पैमाना है, जिससे आपके कर्ज चुकाने की क्षमता से लेकर वित्तीय व्यवहार और अनुशासन की पहचान होती है। जब भी आप कर्ज लेने जाएंगे तो बैंक या वित्तीय संस्थान सबसे पहले सिबिल स्कोर देखते हैं। 700 से ऊपर का स्कोर ठीकठाक माना जाता है। यह 800 से ऊपर है तो बहुत ही अच्छा है और बैंकों के साथ कर्ज लेते समय कम ब्याज के लिए भी मोलभाव कर सकते हैं। पैसे बचाने के लिए सेटलमेंट नुकसानदेह
बहुत सारे लोग कर्ज चुकाने के लिए बैंकों के साथ सेटलमेंट भी करते हैं। खासकर पर्सनल लोन और उसमें भी क्रेडिट कार्ड से जुड़े कर्जों की संख्या 90 फीसदी से ऊपर है, जिसे लोग सेटल करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके एवज में कोई गारंटी नहीं होती है, जबकि होम लोन या कार लोन जैसे कर्ज लेने के एवज में बैंकों के पास यह विकल्प होता है कि वे आपके मकान या कार को वापस ले सकते हैं, जिससे उनके लोन की कुछ भरपाई हो जाती है। हालांकि, क्रेडिट कार्ड और कुछ अन्य पर्सनल लोन में यह सुविधा नहीं होती है।

युवाओं के बीच तेजी से फैल रहा चलन
आजकल के युवा पूरे खर्च को क्रेडिट कार्ड के जरिये चला रहे हैं। चूंकि, क्रेडिट कार्ड के उपयोग में तुरंत पैसा नहीं देना होता है और कार्ड जारी करने वाला संस्थान बिना ब्याज के कुछ दिन तक भुगतान करने की मोहलत देता है। ऐसे में युवा बिना सोचे समझे क्षमता से ज्यादा खर्च करते हैं और बाद में बिल भरने के समय वे समझौते पर आ जाते हैं।याद रखिए, बैंक या वित्तीय संस्थान कुछ कम-ज्यादा कर समझौते तो कर लेते हैं, लेकिन वे सिबिल स्कोर भी खराब कर देते हैं।

बैंकों-वित्तीय संस्थानों को भेजी जाती है रिपोर्ट
आप जब क्रेडिट कार्ड का समझौता कर लेते हैं और बाकी बचे कर्ज का भुगतान कर देते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान रिपोर्ट को खराब कर इसे सिबिल को भेज देता है। जब अगली बार कर्ज लेने जाते हैं तो दूसरा संस्थान इसी स्कोर को देखकर कर्ज देने से मना कर देता है।

अगर छोटा संस्थान कर्ज देने के लिए तैयार भी होता है तो वह ज्यादा ब्याज लेता है। इसका अर्थ है कि आपने समझौते के तहत कुछ रकम जरूर बचा ली, लेकिन आगे कर्ज लेने का रास्ता बंद हो जाता है।
कभी भी लोन को सेटलमेंट न करें। बैंक या वित्तीय संस्थान से थोड़ा और समय लेकर इसे बाद में चुकता करें। इससे आपका स्कोर ठीक बना रहेगा। -अमन कुमावत, वित्तीय सलाहकार

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