घरेलू शेयर बाजारों में पिछले साल अक्तूबर से एकतरफा बिकवाली ने निवेशकों को पूरी तरह से तोड़ दिया है। कुछ प्रमुख कारक जैसे बजट और रेपो दर में कटौती के बाद भी बाजार की चाल में कोई सुधार नहीं हुआ। पर, अब बाजार में वापसी का मौका है और खरीदारी का धीरे-धीरे आकलन करने का समय भी है।
भारतीय बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांक एनएसई और बीएसई पिछले साल सितंबर के शीर्ष से अब तक करीब 14 फीसदी तक टूट चुके हैं। इस दौरान बड़े और अच्छे शेयरों की भी जमकर पिटाई हुई है। ऐसे में विश्लेषकों की सलाह है कि अब बाजार उस स्तर पर आ गया है, जहां से थोड़ी-बहुत खरीदारी की जा सकती है, क्योंकि अच्छे शेयर अब सस्ते भाव में मिल रहे हैं। कुछ स्टॉक का हाल तो यह है कि वे अपने शीर्ष से 50 फीसदी तक टूट चुके हैं। हालांकि, कंपनियां बेहतर हैं तो बाद में वापसी जरूर करेंगी।
400 स्मॉलकैप में 53% घाटा
पिछले हफ्ते 400 स्मॉलकैप ने 53 फीसदी तक घाटा दिया है। बाजार की तेजी में स्मॉलकैप और मिडकैप ने ही निवेशकों को मालामाल कर दिया था। अब वे ही सबसे ज्यादा पूंजी घटा रहे हैं। इसमें सूरतवाला बिजनेस, बेस्ट एग्रोलाइफ, डी डेवलपमेंट और पीटीसी इंडस्ट्रीज जैसे प्रमुख शेयर हैं।
बाजार के जानकार और बड़े फंड मैनेजर भी इस बात की जुगाड़ में हैं कि कब खरीदी शुरू की जाए। फंड हाउस समय अच्छी खासी नकदी पर बैठे हैं। उन्होंने पिछले साल बाजार की गिरावट की आहट भांपकर अपने निवेश को कम कर दिया था। अब वे उस नकदी का उपयोग बाजार की गिरावट में सस्ते शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं। हालांकि, वे अब भी पूरी तरह से शेयर बाजार को लेकर निशि्चंत नहीं हैं।ऐसे में वे बाजार में एकमुश्त पैसा लगाने के बजाय धीरे-धीरे अवसरों पर लगाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, खुदरा निवेशकों के लिए कुछ समय तक के लिए ‘देखो और इंतजार करो’ की रणनीति अपनाना ही बेहतर होगा।
कोरोना से ज्यादा भयावह हैं हालात
दरअसल, 2020 में जब बाजार धराशायी हुए थे, तब एक प्रमुख कारण था कि वैश्विक स्तर पर कोरोना था। लेकिन, इस बार ऐसा कोई कारण नहीं है, सिवाय अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक संस्थागत निवेशकों की भारी बिकवाली के। ऐसे में इस बार हालात उस समय से ज्यादा बुरे हैं, क्योंकि टैरिफ वार और विदेशी निवेशकों की बिकवाली कब खत्म होगी, यह कोई नहीं जानता।
एफआईआई ने निकाले 1.13 लाख करोड़
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय बाजार में इस साल अब तक रिकॉर्ड 1.13 लाख करोड़ के शेयर बेचे हैं। इतना तो कोरोना की शुरुआत यानी 2020 के मार्च और अप्रैल में भी नहीं बेचे थे। इस बार 82 हजार करोड़ के शेयर जनवरी और 31 हजार करोड़ के शेयर इस महीने में बिके हैं। सबसे ज्यादा शेयर 55 हजार करोड़ के वित्तीय सेवाओं की कंपनियों के बिके हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा शेयर पिटे हैं।
इस साल निफ्टी में चार फीसदी गिरावट
एफआईआई की बिकवाली का असर यह हुआ है कि इस साल महज 54 दिन में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी चार फीसदी टूट गया है। विश्लेषकों का कहना है कि एफआईआई इस समय चीन में पैसे लगा रहे हैं क्योंकि वहां का मूल्यांकन सस्ता है। वहां सरकार एफआईआई को आकर्षित करने के लिए कई सारे उपाय कर रही है। इसका असर यह हुआ कि चीन का बाजार पूंजीकरण अक्तूबर से अब तक 170 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है। इस अवधि में भारतीय बाजार के पूंजीकरण में करीब 78 लाख करोड़ की गिरावट आई है।