एफडी लैडरिंग एक निवेश रणनीति है। इसमें निवेशकों को एक ही जगह पैसा जमा करने के बजाय एक साथ कई एफडी खाते खोलने होते हैं, जिनकी परिपक्वता अवधि अलग-अलग होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपके फंड का कुछ हिस्सा नियमित अंतराल पर परिपक्व होता रहे, जिससे आपको पैसा मिलता रहे।
एफडी लैडरिंग एक निवेश रणनीति है। इसमें निवेशकों को एक ही जगह पैसा जमा करने के बजाय एक साथ कई एफडी खाते खोलने होते हैं, जिनकी परिपक्वता अवधि अलग-अलग होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपके फंड का कुछ हिस्सा नियमित अंतराल पर परिपक्व होता रहे, जिससे आपको पैसा मिलता रहे। आप इसे बेहतर ब्याज दरों पर फिर से निवेश कर सकते हैं या जरूरत पड़ने पर उस रकम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए…
अगर आपके पास निवेश के लिए 5 लाख रुपये हैं, तो उसे पांच साल की एक एफडी में डालने के बजाय एक से पांच साल की अवधि के लिए एक लाख रुपये की पांच एफडी में विभाजित करें। जब पहली एफडी मैच्योर हो जाए, तो इसे अगले पांच साल के लिए फिर से निवेश करें और यह चक्र जारी रखें। इस तरह, आपको अधिकतम रिटर्न के साथ लगातार लिक्विडिटी मिलती है।
एक नहीं अलग-अलग बैंकों में जमा करें पैसा
अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एक बैंक में एफडी करने के बजाय अलग-अलग बैंकों में खाता खोलने पर विचार करें। हर बैंक में अपनी जमा राशि पांच लाख रुपये से कम रखने का प्रयास करें, क्योंकि बैंक के डूबने पर सरकार पांच लाख रुपये की जमा बीमा देती है। एफडी लैडरिंग का फायदा यह है कि जैसे-जैसे आपकी एफडी मैच्योर होगी, उस हिसाब से हर साल यानी एक साल, दो साल, तीन साल, चार साल और पांच साल पर रिटर्न मिलता रहेगा।
लक्ष्य के आधार पर अवधि का करें चयन
वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एफडी की परिपक्वता अवधि चुनें ताकि ब्याज आय को अधिकतम किया जा सके। मकान के नवीनीकरण, छुट्टियों या आपात स्थितियों जैसी अल्पकालिक जरूरतों के लिए एक से तीन साल की अवधि वाली अल्पकालिक एफडी सबसे अच्छी होती है। सेवानिवृत्ति या बच्चों की शिक्षा जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए 5 से 10 साल की अवधि के लिए अलग अलग खाता खोलें। -आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार