रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का लगभग आधा कर्ज, प्रकृति और उसके पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी हद तक निर्भर है। इसलिए, कोई भी प्राकृतिक आपदा उनके मुनाफे को प्रभावित करती है।
बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के कारण अगले पांच वर्षों में यानी 2030 तक कृषि एवं आवासीय कर्ज के 30 फीसदी हिस्से के डूबने का जोखिम है। बीसीजी की एक विश्लेषण रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में करीब 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ रही है और कृषि उत्पादन घट रहा है। इसके परिणामस्वरूप, बढ़ती चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित लोगों की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है।
नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए भारत को करना होगा 200 अरब डॉलर तक का निवेश
बीसीजी के प्रबंध निदेशक एवं भागीदार एशिया प्रशांत अभिनव बंसल ने कहा, भारत कोयले और कच्चे तेल से दूर होकर नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत को यह बदलाव लाने/परिवर्तन करने के लिए सालाना 150-200 अरब डॉलर का निवेश करना होगा। इसके विपरीत, भारत में जलवायु वित्त 40-60 अरब डॉलर के बीच है, जिससे 100-150 अरब डॉलर का अंतर पैदा हो रहा है। बंसल ने कहा, यह परिवर्तन अवसरों का परिदृश्य तैयार करेगा। हालांकि, हम लक्ष्य से बहुत दूर हैं और इसे 2030-40 तक घटित होते हुए देख सकते हैं, जिसकी शुरुआत होने वाली है। अग्रणी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएंगे। बैंकिंग संदर्भ के नजरिये से हम बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
जोखिम से बचने के लिए बढ़ानी होगी जागरूकता
जलवायु परिवर्तन के भौतिक जोखिम व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। इससे उनके राजस्व पर भी असर पड़ रहा है। बीसीजी के प्रबंध निदेशक एवं वरिष्ठ साझेदारी वैश्विक लीडर (जोखिम एवं अनुपालन प्रैक्टिस) मैटेओ कोपोला ने कहा, इस प्रभाव से निपटने के लिए बैंकों को इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपने ग्राहकों को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने की सलाह देने के लिए व्यवस्थित रूप से काम करने की जरूरत है।
बैंकों के लिए 150 अरब डॉलर का अवसर
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते जलवायु जोखिम पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में सामूहिक कार्रवाई की व्यावसायिक आवश्यकता स्पष्ट है। इसमें आगे कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन बैंकों को देश की ऊर्जा परिवर्तन जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना 150 अरब डॉलर का अवसर भी प्रदान करता है, क्योंकि 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को पाने के लिए सार्वजनिक फंडिंग काफी कम है।