गणेश चतुर्थी पर चांद देखने का प्रसंग शास्त्रों और लोककथाओं से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने से झूठा आरोप (मिथ्या कलंक) लग सकता है। इसे ही गणेश चंद्र दर्शन दोष कहा गया है लेकिन चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, शास्त्रों में इसका उपाय भी बताया गया है।
‘श्रीमद् भागवत्’ के 10वें स्कन्ध के 56-57वें अध्याय में दी गई ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का श्रवण करें।
मां के चरणों में बैठकर भूल का पश्चाताप करने से निवारण संभव है।
‘श्रीमद् भागवत्’ के 10वें स्कन्ध के 56-57वें अध्याय में दी गई ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का श्रवण करें।
मां के चरणों में बैठकर भूल का पश्चाताप करने से निवारण संभव है।
दूर्वा, लड्डू या मोदक का भोग लगाएं, गणेश जी को उनका प्रिय भोग अर्पित करके क्षमा याचना करें।
पानी से चंद्रमा को अर्घ्य दें, यह भी दोष निवारण का एक उपाय माना जाता है।
आईने में अपनी शक्ल देखकर उसे बहते पानी में बहा दें।
एक पत्थर अपने पड़ोसी की छत पर फेंक दीजिए।
शाम के समय अपने अतिप्रिय निकट संबंधी से कटु वचन बोलें तत्पश्चात अगले दिन प्रातः उससे से क्षमा मांग लें।
21 अलग-अलग पेड़-पौधों के पत्ते तोड़कर अपने पास रखें।
आईने में अपनी शक्ल देखकर उसे बहते पानी में बहा दें।
एक पत्थर अपने पड़ोसी की छत पर फेंक दीजिए।
शाम के समय अपने अतिप्रिय निकट संबंधी से कटु वचन बोलें तत्पश्चात अगले दिन प्रातः उससे से क्षमा मांग लें।
21 अलग-अलग पेड़-पौधों के पत्ते तोड़कर अपने पास रखें।