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नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि समाज के बड़े हिस्से को हाशिए पर रखने वाली असमानताओं को दूर किए बिना कोई भी राष्ट्र वास्तव में प्रगतिशील या लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता है।
सामाजिक-आर्थिक न्याय एक व्यावहारिक आवश्यकता है- सीजेआई
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दीर्घकालिक स्थिरता, सामाजिक सामंजस्य और सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय एक व्यावहारिक आवश्यकता है।
न्याय कोई अमूर्त आदर्श नहीं है- सीजेआई
भारत में सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करने में संविधान की भूमिका विषय पर मिलान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्याय कोई अमूर्त आदर्श नहीं है। इसे सामाजिक संरचनाओं, अवसरों का बंटवारा और लोगों के रहने की स्थितियों में जड़ें जमानी चाहिए।
सीजेआइ ने कहा कि यह केवल पुनर्वितरण या कल्याण का मामला नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने, पूर्ण मानवीय क्षमता का अहसास करने और देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में समान रूप से भाग लेने में सक्षम बनाने के बारे में भी है।
नाबालिग लड़की को सुरक्षा दें बिहार, दिल्ली पुलिस : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार के पुलिस महानिदेशक और दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि अपनी शादी को रद करने की मांग कर रही नाबालिग लड़की को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें।
जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि लड़की और उसके दोस्त को अपनी जान को खतरा है और अधिकारी उनसे संपर्क करके आवश्यक सहायता प्रदान करें।
दोस्त के साथ फरार बताई जा रही लड़की ने दावा किया कि नौ दिसंबर, 2024 को साढ़े 16 साल की उम्र में जबरन उसकी शादी कर दी गई और अब पति और ससुराल वाले उसे इस विवाह को निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए बिहार प्रशासन, लड़की के पति और ससुराल वालों को 15 जुलाई तक जवाब देने का निर्देश दिया है। लड़की ने याचिका में कहा है कि उसके ससुराल वालों ने माता-पिता के घर लौटने की अनुमति नहीं दी और दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया है।