किसी भी हाईकोर्ट ने नहीं भेजा प्रस्ताव
देश में 25 हाई कोर्ट हैं, लेकिन 11 जून तक किसी भी हाई कोर्ट कोलेजियम ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने 18 लाख से ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों के मद्देनजर 30 जनवरी को हाई कोर्टों को तदर्थ जजों की नियुक्ति करने की इजाजत दी थी, बशर्ते इनकी संख्या अदालत के लिए स्वीकृत कुल जजों के पदों के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम लेता है अंतिम फैसला
इसके बाद न्याय विभाग उम्मीदवारों की जानकारी एवं विवरण जोड़ता है और फिर उन्हें सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को भेजता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम अंतिम फैसला लेता है और सरकार को चयनित व्यक्तियों को जजों के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश करता है।
कोर्ट ने क्या शर्तें लगाई थीं?
अधिकारियों ने पहले बताया था कि एक मामले को छोड़कर सेवानिवृत्त जजों को हाई कोर्ट के तदर्थ जजों के रूप में नियुक्त करने का कोई उदाहरण नहीं है। हाई कोर्टों में तदर्थ जजों की नियुक्ति पर 20 अप्रैल, 2021 को दिए गए फैसले में शीर्ष अदालत ने कुछ शर्तें लगाई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
एक शर्त में कहा गया था कि यदि हाई कोर्ट अपने स्वीकृत पदों के 80 प्रतिशत के साथ काम कर रहा है, तो तदर्थ जजों की नियुक्ति नहीं की जा सकती, जबकि दूसरी शर्त में कहा गया था कि तदर्थ जज मामलों से निपटने के लिए अलग-अलग पीठों में बैठ सकते हैं।