शिक्षकों ने प्राचार्य और प्रबंधक पर महाविद्यालय की दान में मिली सुविधाओं के व्यवसायिक इस्तेमाल का आरोप भी लगाया गया है। शिक्षकों का कहना है कि एक विशेष एजेंसी को बिना टेंडर प्रक्रिया के लाखों रुपये का भुगतान कर कालेज के विभिन्न कार्य कराए जा रहे हैं।