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गोरखपुर
रेलवे बोर्ड दिल्ली की विजिलेंस टीम शुक्रवार को भी रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर कार्यालय में जमी रही। चार सदस्यीय टीम दिनभर फर्जीवाड़ा से संबंधित फाइलों की पड़ताल करती रही। इस दौरान संबंधित लोगों से पूछताछ के बाद कुछ फाइलें जब्त कर ली। टीम ने आरक्षण कोटा के आवंटन में फर्जीवाड़ा की शिकायतों की भी जांच की। भर्ती और आरक्षण कोटा में फर्जीवाड़ा से संबंधित फाइलें लेकर वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली वापस लौट गई।
रेलवे बोर्ड की विजिलेंस टीम भर्ती में फर्जीवाड़ा की फाइलें छह माह से खंगाल रही हैं। अभी भी जांच चल रही है। हालंकि, रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के अध्यक्ष नुरुद्दीन अंसारी और निजी सचिव रहे राम सजीवन निलंबित हो चुके हैं। गोरखपुर के विजिलेंस इंस्पेक्टर भी हटा दिए गए हैं।
पूर्व मुख्य कार्यालय अधीक्षक चंद्र शेखर आर्या और राम सजीवन के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज है। जानकारों का कहना है कि फर्जीवाड़ा में अभी कई और नपेंगे। विजिलेंस ने 17 दिसंबर 2024 को भी रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय में छापेमारी की थी। फाइलों को जब्त कर दिल्ली साथ ले गई थी। फाइलों के साथ लेनदेन में भी हेराफेरी की आशंका में बैंक अकाउंट और चेकबुक को भी जब्त कर लिया है।
बैंक खातों की भी जांच की गई है। कुछ फाइलों की जांच अधूरी रह गई थी, जिसके लिए विजिलेंस फिर से गोरखपुर पहुंच गई। विजिलेंस जांच से दफ्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। कार्रवाई को लेकर सब डरे और सहमे हैं।
जानकारों का कहना है कि दिल्ली विजिलेंस ने आरक्षण कोटा आवंटन में धांधली की भी जांच शुरू कर दी है। लगातार दो दिनों तक आरक्षण टिकट कोटा आवंटन की शिकायतों के आधार पर आवेदनों की जांच-पड़ताल करती रही। शिकायत है कि रेलवे के कुछ अधिकारी और दलाल फर्जी लेटर पैड का उपयोग कर कोटा आरक्षित करा रहे हैं।
दादर एक्सप्रेस में आरक्षित टिकट कन्फर्म कराने के लिए रेल राज्य मंत्री के लेटर पैड का दुरुपयोग करने का मामला भी प्रकाश में आया है। कोटा के तहत आवंटित बर्थों पर यात्रा करने वाले लोगों ने बदले में पैसा देने की भी बात स्वीकारी है। लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर रेलवे बोर्ड भी गंभीर हो गया है। बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे समेत सभी जोन को ट्रेनों में कोटा के तहत आवंटित बर्थों का रैंडम जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।
यह है प्रकरण
रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर में तैनात दो रेलकर्मियों ने 26 अप्रैल, 2024 को जारी पैनल में फर्जी ढंग से अपने बेटों का नाम शामिल कर दिया था। सात अभ्यर्थियों के पैनल में बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए, बिना मेडिकल टेस्ट और बिना अभिलेखों की जांच कराए ही अपने बेटों को शामिल कर नौ कर दिया।
रेलवे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही पैनल जारी हुआ। कार्यालय अधीक्षक चंद्र शेखर आर्य के बेटे राहुल प्रताप और निजी सचिव (द्वितीय) राम सजीवन के बेटे सौरभ कुमार बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए और मेडिकल टेस्ट के ही माडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली में फिटर बन गए थे।