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गोरखपुर
माफिया सुधीर सिंह ने पुलिस और एसटीएफ की आंखों में धूल झोंकते हुए दो साल बाद एक बार फिर उसी पुराने फार्मूले पर काम किया। वर्ष 2023 में पुलिस की सख्ती बढ़ी तो सुधीर ने महाराजगंज कोर्ट में सरेंडर कर गिरफ्तारी टाल दी थी। इस बार भी ठीक वैसा ही हुआ। हत्या की कोशिश के आरोप में फरार चल रहे माफिया ने लखनऊ की अदालत में आत्मसमर्पण कर पुलिस को एक बार फिर खाली हाथ लौटा दिया।
खजनी पुलिस के साथ ही क्राइम ब्रांच और एसटीएफ जिस माफिया को 16 दिन तक ढूंढ़ती रह गई, उसने एक बार फिर कानूनी गलियों का रास्ता चुन कर नाटकीय अंदाज में आत्मसमर्पण कर दिया। माफिया सुधीर सिंह ने 13 जून को लखनऊ की एक अदालत में पुराने आर्म्स एक्ट के केस में आत्मसमर्पण किया, जिससे पुलिस उसकी तत्काल गिरफ्तारी नहीं कर सकी। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब सुधीर सिंह ने पुलिस को मात दी हो। ऐसा ही एक वाकया ठीक दो वर्ष पहले भी हुआ था।
अप्रैल 2023 में शाहपुर थाने में दर्ज एक पुराने लूट के केस में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद सुधीर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस और क्राइम ब्रांच ने छापेमारी शुरू की थी। करीब एक महीने तक कार्रवाई चलती रही, लेकिन सुधीर पुलिस की पकड़ में नहीं आया।
आखिरकार 25 मई 2023 को उसने महराजगंज की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया और पुलिस खाली हाथ रह गई। सुधीर सिंह गीडा के कालेसर गांव का रहने वाला है और उसके खिलाफ गोरखपुर, लखनऊ और महराजगंज के विभिन्न थानों में 36 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। एक बार फिर माफिया के हाथ से निकल जाने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
माफिया सुधीर सिंह ने एक बार फिर पुलिस को चकमा दिया। उसने लखनऊ की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया जबकि पुलिस उसे ढूंढ रही थी। पहले भी सुधीर ने ऐसा ही किया था जब उसने महाराजगंज कोर्ट में सरेंडर किया था। सुधीर पर गोरखपुर लखनऊ और महराजगंज में 36 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इस घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।