कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार सिंह ने खरीफ फसल की खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
उन्होंने मौसम के बदलते परिवेश में धान की सीधी जीरो टिल से बोआई, जैविक खेती, मिट्टी स्वास्थ्य, संरक्षण एवं उर्वरक के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया।
जीरो टिलेज तकनीक के माध्यम से धान की बोआई करने की सलाह दी गई, जिससे 20 प्रतिशत जल और श्रम की बचत होती है।
उन्होंने बताया कि सही विधि और समय से बोआई करने पर जीरो टिलेज तकनीक से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उत्पादन लागत में कमी आती है।
संकर धान की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है, जो दो विभिन्न प्रभेदों के संकरण से विकसित होती है।

किसानों की दी गई सलाह

किसानों को सलाह दी गई कि वे तीन वर्ष में एक बार खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं, जिससे संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग किया जा सके।

रासायनिक खाद के उपयोग से खेत की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है, इसलिए जैविक खेती की आवश्यकता पर बल दिया गया। जैविक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि गोबर, कंपोस्ट, जीवाणु खाद आदि का प्रयोग किया जाता है।
इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। इस अवसर पर वैज्ञानिक नीरज कुमार, आत्मा के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह, और अन्य ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रखंड के नौ स्थानों पर किसानों को खरीफ फसलों की बोआई की जानकारी दी गई।