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गोरखपुर
रामगढ़ताल क्षेत्र में संचालित विभिन्न गतिविधियों के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से आवंटित स्थलों, प्लेटफार्म का समय से किराया नहीं मिलने पर प्राधिकरण सख्त रुख अपनाने जा रहा है। जीडीए संबंधित क्षेत्र के सभी प्रमुख आवंटियों, वेंडरों के खातों में बैंक की मदद से आटो डेबिट सिस्टम लागू करने जा रहा है।
इस व्यवस्था के लागू होने के बाद तय तिथि पर स्वत: ही बैंक खातों से किराए की रकम कटकर जीडीए के बैंक खातों में चली जाएगी। खाते में किराए के बराबर रकम नहीं होने पर जुर्माना लगेगा। प्राधिकरण ने इस संबंध में दो जून को सुबह 10:30 बजे से सभी आवंटियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में प्राधिकरण के सचिव, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, ओएसडी मौजूद रहेंगे।
प्राधिकरण के मुताबिक बार-बार अपील और नोटिस जारी किए जाने के बाद भी कई आवंटियों की ओर से समय से किराया नहीं जमा किया जा रहा था। इस समस्या के निस्तारण के लिए ही आटो डेबिट सिस्टम लागू करने का निर्णय किया गया है। अप्रैल 2025 की मासिक रिपोर्ट के अनुसार अकेले जेएसआर पर 85.73 लाख रुपये का बकाया है।
जेएसआर गार्डन संचालित करने वाली फर्म पीवीएस इंटर प्राइजेज को को हर माह 5.01 लाख रुपये किराया मद में जमा करना होता है। इसी तरह क्रूज लेक क्वीन का संचालन करने वाली फर्म मेसर्स राज कुमार राय पर अप्रैल 2025 तक करीब 1.28 करोड़ रुपये बकाया हो गया था। फर्म की ओर से 40 लाख रुपये जमा किए गए हैं यानी करीब 90 लाख रुपये अभी भी बाकी है।
क्रूज का प्रति माह 7.41 लाख रुपये किराया निर्धारित है। नौकायन मुख्य द्वार के सामने दिग्विजयनाथ पार्क में संचालित स्टैंड व ताल बाजार का संचालन करने वाली फर्म मेसर्स इशिता पर अप्रैल तक 29.35 लाख बकाया था, जिसमें से फर्म ने 5.61 लाख रुपये जमा किए। फर्म पर अभी भी 24 लाख रुपये से अधिक का बकाया है।
इसी तरह वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का संचालन करने वाली फर्म ई-सिटी बाइसकोप पर अप्रैल तक 1.68 करोड़ से ज्यादा का बकाया था। सख्ती के बाद फर्म ने 95 लाख रुपये जमा किए जबकि बाकी के करीब 75 लाख रुपये अभी भी जमा नहीं किए गए हैं। वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का प्रति तीन माह पर 25 लाख रुपये किराया तय है।
जेट स्की संचालित करने वाली फर्म पर 12.39 लाख का बकाया
रामगढ़ताल में जेट स्की वाटर क्राफ्ट का संचालन करने वाली फर्म गणेश ट्रेडर्स पर ब्याज छोड़कर 12.39 लाख रुपये का बकाया है। फर्म को हर माह 1.50 लाख रुपये किराया जमा करना होता है।
वहीं शिकारा बोट का संचालन करने वाली फर्म मेसर्स बलराम एपेक्स इंटर प्राइजेज पर 7.95 लाख और पर्यटन मोटर बोट आदि का संचालन करने वाली फर्म श्रवण यादव पर 52.95 लाख रुपये का बकाया था, जिसमें से फर्म ने 29 लाख रुपये जमा किए। यानी 20 लाख रुपये से अधिक का अभी फर्म पर बकाया है।