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नोएडा
नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के किनारे बसे आसासीय सोसायटी व सेक्टरों में यमुना-हरनंदी का जल बैकफ्लो होकर सड़कों पर आने से रोकने के लिए हरनंदी पर दो हेड रेग्युलेटर (सेक्टर-148 व 150) में बनाया जाएगा। इसके निर्माण पर आने वाला खर्च प्राधिकरण वहन करेगा, जबकि निर्माण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर कराया जाएगा।
प्राधिकरण से मांगे थे 30 लाख रुपये
हरनंदी पर यह पहला रेग्यूलेटर होगा, जिसे नोएडा में बनाने की तैयारी है। पिछले दिनों नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने इसका स्थलीय निरीक्षण किया था। जिसका सर्वे ड्राइंग डिजाइन तैयार करने के लिए प्राधिकरण से 30 लाख रुपये मांगा था, जिसे सिंचाई विभाग को सौंप दिया गया है।
अब परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए प्राधिकरण से नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के किनारे बसे सेक्टरों व सोसायटी का लेआउट प्लान मांगा है। इससे सिंचाई विभाग की टीम को यह पता चल सके कि कौन-कौन से सेक्टर व सोसायटी को हेड रेग्युलेटर से जोड़ा जा सकता है। वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश में बादल फटने के बाद अचानक यमुना का जलस्तर बढ़ गया।
एक्सप्रेसवे के किनारे बने नालों में पहुंचा था यमुना का पानी
यमुना का जल बैकफ्लो होने से सेक्टर-168 में बना हेड रेग्युलेटर फेल हो गया। एक्सप्रेसवे के किनारे बने नालों में यमुना का जल पहुंच गया। इससे सेक्टर-142 स्थित एडवंट के नवनिर्मित नाले फट गए। इससे सेक्टर-137 तक की तमाम सोसायटियों की सड़कों पर जलभराव हो गया। प्राधिकरण ने वैकल्पिक व्यवस्था से यमुना के जल को शहर में घुसने से रोका।
बोरियां डालकर बांध बनाया गया, लेकिन तब तक सेक्टर-150 स्थित मोमनाथल गांव के पास हरनंदी में यमुना का जल बैकफ्लो मार गया। इससे सेक्टर-145 से सेक्टर-148 और सेक्टर-150 की सडकों व कालोनी व गांव में जलभराव हो गया। इसको प्राधिकरण ने खतरे की घंटी माना है। इसलिए यहां पर बने नालों के हरनंदी में डालने के लिए हेड रेग्युलेटर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा बढ़ा चुका है।
सीवर का शोधित जल भी हरनंदी में डाला जाएगा
यहां की सोसायटी या सेक्टर को कोई भी बरसाती नाला हरनंदी में नहीं डाला गया है। ऐसे में बरसाती नाला को हरनंदी से जुड़ने के साथ-साथ सीवर का शोधित जल भी हरनंदी में डाला जाएगा। इसके लिए आसपास के सेक्टर-सोसायटी का सीवरेज जल को शोधित करने के लिए सफीपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जाएगा।
यह प्लांट कितनी क्षमता को होगा, इसका आकलन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नोएडा में 40 वर्ष बाद पुश्ता तक यमुना का जल पहुंच गया, जिसने प्राधिकरण माथे पर चिंता की लकीरें ला दी थी। इसलिए इस दिशा में काम किया जा रहा है।