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नई दिल्ली
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक दिन पहले शालीमार के हैदरपुर, शालामार व सिंघलपुर गांव में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) सुविधा का शुभारंभ किया। इस खबर ने दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस की कसक बढ़ा दी।
वर्ष 2006 में योजना हुई थी मंजूर
क्योंकि, तमाम प्रयासों के बाद कनॉट प्लेस में 20 साल बाद भी पीएनजी की सुविधा नहीं पहुंची है। वह भी तब जबकि, यहां 200 से अधिक रेस्तरां मौजूद है, जिनमें से कई तो 75 वर्ष पुरानी है। वे आज भी सिलेंडर आधारित रसोई गैस का इस्तेमाल कर रही हैं। इसी तरह, इमारतों में लगे जनरेटर मजबूरी में डीजल इस्तेमाल कर प्रदूषण को बढ़ा रही है।
कनॉट प्लेस में वर्ष 2006 में पीएनजी की परियोजना को मंजूरी दी गई थी। वर्ष 2012 में काम भी शुरू हुआ, लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हुआ है, जबकि यहां 200 से अधिक रेस्तरां हैं तो कुछ परिवारों के आवास है।
क्या बोले आइजीएल के अधिकारी?
पीएनजी की आपूर्ति कर्ता कंपनी आइजीएल के एक अधिकारी के अनुसार, कनॉट प्लेस के बाहर चारों ओर पीएनजी की पाइप लाइन बिछी है, केवल कनॉट प्लेस में नहीं है। वैसे, इस संबंध में एनडीएमसी व आइजीएल अधिकारियों के बीच संवाद जारी है, लेकिन हल नहीं निकल रहा है।
नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन (एनडीटीए) के महासचिव विक्रम बधवार पीड़ा जताते हुए बताते हैं कि हर तरह प्रदूषण और सहूलियत की बात हो रही है, लेकिन काम नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनका ध्यान आकृष्ट इस समस्या पर किया गया है। शायद हल निकले।
कहां अटका है मामला?
यह मामला अटका है, कनॉट प्लेस में बने भूमिगत यूटिलिटी कारिडोर को लेकर। आइजीएल के एक अधिकारी के मुताबिक नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा यूटिलिटी कॉरिडोर से पाइप गुजारने को कह रही है, जबकि, भूमिगत गलियारे में अत्यधिक बिजली की तारें गुजर रही है।
जिनके बगल से गैस की पाइप लाइन गुजारना उसे खतरनाक बनाएगा। इसलिए अलग से पाइप गुजारने की अनुमति मांगी जा रही है। इस संबंध में एनडीएमसी से संपर्क किया गया, लेकिन उधर से जवाब नहीं आया।