जब तक न हों सारे ऑर्गेन हेल्दी
कैसे पता करें कि डिटॉक्स की जरूरत है
शराब का सेवन डिटॉक्स में रुकावट
कई स्टडीज बताती है कि शराब का ज्यादा सेवन आपके लिवर को डैमेज करता है। उसमें फैट जमा होने लगता है, सूजन और जख्म हो जाते हैं। ऐसी स्थिति होने पर आपका लिवर अपना सबसे जरूरी काम यानी, वेस्ट को फिल्टर करने और आपके शरीर से टॉक्सिन्स निकालने का काम सही तरीके से नहीं कर पाता। अगर शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर दिया जाए, तो आपका शरीर डिटॉक्स की प्रक्रिया अच्छी तरह कर सकेगा।
नींद पूरी करें
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
पानी सिर्फ आपकी प्यास ही नहीं बुझाता, बल्कि ये आपके शरीर के टेम्परेचर को भी कंट्रोल करता है, जोड़ों को ल्युब्रिकेट करता है, पाचन को ठीक करता है और आपके शरीर से वेस्ट निकालकर उसे डिटॉक्स करने का काम भी करता है। आपका शरीर सही तरीके से काम करे और एनर्जी यूज करने के लिए पोषक तत्व सही तरीके से टूटें, इसके लिए सेल्स को लगातार खुद को रिपेयर करना होता है।
शुगर वाले और प्रोसेस फूड्स कम कर दें
रिसर्च बताते हैं कि ज्यादा शुगर और हाई प्रोसेस वाली चीजें खाने से मोटापा व अन्य क्रॉनिक बीमारियां जैसे हार्ट डिजीज, कैंसर और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों की वजह से शरीर की डिटॉक्स करने की नेचुरल क्षमता को भी नुकसान पहुंचता है। आपको अपने शरीर के डिटॉक्स सिस्टम को हेल्दी रखने के लिए जंक और शुगरी फूड कम से कम लेना चाहिए।
डिटॉक्स या क्लींजिंग के कुछ नुकसान
- पोषक तत्वों की कमी हो जाती है: क्लींजिंग और डिटॉक्स डाइट को कई बार उतना बैलेंस नहीं माना जाता है। ऐसे में इसका खतरा बढ़ जाता है कि आपको जरूरी प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स न मिल रहे हों।
- एनर्जी कम हो जाती है: डिटॉक्सिफिकेशन के दौरान डाइट और कैलोरी को सीमित कर देने की वजह से एक्सरसाइज करने की ताकत कम रह जाती है। इस प्रक्रिया की वजह से आपका मेटाबॉलिज्म और ब्लड शुगर का लेबल प्रभावित होता है।
- पेट से जुड़ी समस्या: कई ऐसी क्लींजिंग और डिटॉक्स डाइट है, जिसका असर पेट पर पड़ता है। कई बार डायरिया की समस्या भी हो जाती है। इसलिए किसी एक्सपर्ट की सलाह पर ही इस जर्नी को शुरू करें।
डिटॉक्स और क्लींजिंग में क्या फर्क है?
क्लींजिंग में जहां आप सीधे डाइजेस्टिव सिस्टम पर फोकस करते हैं और गंदगी को बाहर निकालते हैं, वहीं डिटॉक्स की प्रक्रिया थोड़े व्यापक रूप में की जाती है। इसमें लिवर, किडनी और अन्य ऑर्गेन को साफ करने पर ध्यान दिया जाता है।