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राजगढ़
जिले में हर साल बड़ी संख्या में नाबालिगों के विवाह होते हैं।ऐसे में इस बार नाबालिग बच्चों का विवाह करवाना उनके माता-पिता, टैंट-बैंड वाले, पंडित व हलवाई को मंहगा साबित हुआ है। महिला बाल विकास विभाग के अमले की शिकायत पर तीन प्रकरणों में बोड़ा, कालीपीठ व जीरापुर थानों में एफआइआर दर्ज की गई है।
कालीपीठ थाने में दर्ज की एफआइआर
कालीपीठ।कालीपीठ थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिगों की शादी की सूचना पर प्रशासनिक टीम जांच के लिए पहुंची। टीम जब 17 साल 3 माह के लड़के के घर पहुंची तो वहां परिजन मौजूद नहीं थे।घर में मंडप और तोरण द्वार सजे हुए थे।
ग्रामीणों से पूछताछ में शादी की पुष्टि हुई। यहां 14 साल 4 माह की बच्ची की शादी 16 अप्रैल को की गई थी। शादी के बाद सामाजिक संस्था अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों ने प्रशासन को इसकी जानकारी दी थी।इस पर पुलिस ने बालिका के माता-पिता पर एफआइआर दर्ज की है।
बोड़ा थाने में वर-वधु के मात-पिता पर एफआइआर
बोड़ा थाने के एक गांव में नाबालिग लड़के और लड़की की शादी कराने पर दोनों पक्षों के माता-पिता पर मुकदमा दर्ज किया गया है।20 अप्रैल को यह शादी हुई थी।प्रशासनिक टीम गांव पहुंची। टीम ने बालिका वधू, नाबालिग दूल्हे और उसकी मां के बयान लिए। जांच में बाल विवाह की पुष्टि हुई। इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। पूछताछ में माता-पिता ने शादी कराने की बात स्वीकार की है। पुलिस ने वर-वधु दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जीरापुर में माता-पिता सहित टैंड-बैंड, हलवाई व पंडित पर एफआइआर
जीरापुर क्षेत्र के एक गांव में 8 अप्रैल को हुए बाल विवाह की जांच महिला बाल विकास और राजस्व विभाग की टीम ने की। टीम ने दूल्हा और दुल्हन के अलग-अलग गांव जाकर परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ की। विवाह पत्रिका सबूत के तौर पर मिली।
जांच के बाद पंचनामा तैयार किया गया।यह पंचनामा और प्रतिवेदन जीरापुर थाने में सौंपा गया। पुलिस ने पंडित, हलवाई, टेंट, बैंडबाजे वालों और दोनों पक्षों के परिजनों पर मुकदमा दर्ज किया।