एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताई आपबीती
स्थानीय पुलिसकर्मियों जैसे कपड़े पहने हुए थे आतंकी
पिता से बोले- चल चौधरी तू बाहर आ
आगे बोलीं कि आतंकियों ने कहा- चौधरी तू बाहर आ जा। इसके बाद आतंकियों ने उन पर प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया और इस बात से इन्कार किया कि कश्मीरी आतंकी निर्दोष लोगों, महिलाओं व बच्चों की हत्या करते हैं।
इसके बाद उन्होंने मेरे पिता से एक इस्लामी आयत (शायद कलमा) पढ़ने को कहा। जब वह नहीं पढ़ पाए तो उन्होंने उन्हें तीन गोलियां मार दीं जिनमें से एक सिर में, एक कान के पीछे और एक पीठ में मारी। मेरे चाचा मेरे बगल में थे। आतंकियों ने उनकी पीठ में भी चार-पांच गोलियां मारीं।’
पुलिस या सेना नहीं थी, वे 20 मिनट के बाद पहुंचे
असावरी ने बताया कि आतंकियों ने कई अन्य पुरुषों को भी गोली मार दी। उन्हें, उनकी मां और एक अन्य महिला रिश्तेदार को आतंकियों ने छोड़ दिया। वहां कोई पुलिस या सेना नहीं थी, वे 20 मिनट बाद वहां पहुंचे। यहां तक कि वहां के स्थानीय लोग भी इस्लामी आयत पढ़ रहे थे।
जो लोग हमें टट्टुओं से उस जगह पर लेकर पहुंचे थे, उन्होंने हमारी मदद की जिनमें मैं और मेरी मां समेत तीन महिलाएं थीं। बाद में हमारी मेडिकल जांच की गई और फिर हमें पहलगाम क्लब में स्थानांतरित कर दिया गया।