बिहार सरकार ने भी जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट के आधार पर राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था। इस कानून को पटना हाई कोर्ट ने रद कर दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
सर्वेक्षण शुरू में 2015 में एच. कंथराज द्वारा कराया गया था और बाद में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने इसे पूरा किया और फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को रिपोर्ट सौंपी। पिछले दिनों यह रिपोर्ट राज्य कैबिनेट में पेश की गई।

किसकी कितनी है आबादी

  • पिछड़ा वर्ग 1ए श्रेणी – 34,96,638
  • पिछड़ा वर्ग 1बी श्रेणी – 73,92,313
  • पिछड़ा वर्ग 2ए श्रेणी – 77,78,209
  • पिछड़ा वर्ग 2बी श्रेणी – 75,25,880
  • पिछड़ा वर्ग 3ए श्रेणी – 72,99,577
  • पिछड़ा वर्ग 3बी श्रेणी – 1,54,37,113
  • अन्य पिछड़ी जातियों की कुल जनसंख्या- 4,16,30,153
  • अनुसूचित जाति – 1,09,29347
  • अनुसूचित जनजाति 42,81,289
(सैंपल सर्वे में 5,98,14,942 की आबादी शामिल है)

जाति जनगणना राजनीतिक नाटक: कुमारस्वामी

केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया पर जाति जनगणना को राजनीतिक नौटंकी के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। कुमारस्वामी ने कहा, जाति जनगणना रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। सरकार जाति लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। अगर आप वाकई जाति जनगणना चाहते हैं, तो सर्वेक्षण कर नई रिपोर्ट पेश करें। पिछले 10 सालों में जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।