प्रकृति के प्रति कृतज्ञता
जीवों की भी है यह धरती
शक्तिकी उपासना
हमारी पौराणिक कथाओं में ऐसा कोई देवता नहीं जो शक्ति (क्षमता) के साथ न आता हो। इसलिए बच्चों को इस बात का भान कराएं कि कि हम सब किसी न किसी क्षमता के साथ पैदा हुए हैं। बेहतर होगा कि वे अपने शरीर को बलशाली बनाएं, मन को नियंत्रित करना सीखें और साथ ही अपनी भावनात्मक क्षमता को भी मजबूत करें। उन्हें बताएं कि ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो’ अर्थात्, क्षमा उस व्यक्ति को शोभा देती है जिसके पास शक्ति और दंड देने की क्षमता हो, न कि किसी कमजोर व्यक्ति को।
परिवार के मूल्य
हमारी संस्कृति का सबसे पहला पाठ है कि हम अपने परिवार के मूल्यों को समझें। यह धर्म भी है और सकारात्मक जीवनशैली भी । भगवान श्रीराम के बाल्यकाल का जिक्र करते हुए भी यह समझाया गया है कि किस प्रकार सबसे पहले वे अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करते थे- ‘प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा’। इस प्रकार की तमाम बातों को समझाने के लिए आप बच्चों की कहानियों व किताबों की मदद ले सकते हैं। गीताप्रेस-गोरखपुर सहित कई प्रकाशक हैं, जो हमारी संस्कृति को नवकोपलों तक प्रेषित करने के लिए संलग्न हैं। सूत्रधार जैसे कई एप हैं जो स्मार्टफोन की स्क्रीन से चिपके बच्चों के लिए संस्कार की पाठशाला बन सकते हैं। खास बात तो यह है कि यहां भाषा की भी बाध्यता नहीं है। हमारे संस्कार इतने शक्तिशाली हैं कि भाषा कोई भी हो, बच्चे जब अपने संस्कारों के बारे में जागरूक हो जाते हैं तो वे खुद ही सर्वशक्तिमान बन सकते हैं!
अपनी संस्कृति का ज्ञान
एफिल टावर देखने की इच्छा है, उसके बारे में पूरी जानकारी है मगर रणथंबौर के बारे में भी परिचित हों। जब बच्चों को अपने देश के पूर्वजों, वीरों, क्रांतिकारियों के बारे में बताएं। बच्चे के दिमाग में विदेश में पढ़ने या नौकरी का विचार रोपने के साथ ही उनकी नींव अपनी संस्कृति से मजबूत करें। आप उन्हें विदेश के ज्ञानियों-विज्ञानियों के बारे में बता रहे हैं तो महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, महारानी लक्ष्मीबाई और भगत सिंह के बारे में भी अवश्य बताएं। ताकि अगर बच्चा विदेशी धरती पर रहे तो भी उसे अपने देश पर गर्व हो। इसके साथ ही जरूरी है कि आप इन बातों को स्वयं पर भी लागू करें। कथनी-करनी में अंतर न रखें। आपको भी अपनी संस्कृति की समझ, ज्ञान और गर्व होना चाहिए, तभी आप इसे सही तरीके से बच्चों को समझाने में सक्षम होंगे।