सिंगरौली| नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), जयंत परियोजना के विस्तार के लिए ज़रूरी ‘मोरवा पुनर्स्थापन’ करने की प्रक्रिया में है, जिसमें 50,000 से अधिक आबादी सहित 30,000 से अधिक परियोजना प्रभावित परिवारों को पुनर्स्थापित करने की योजना है।
एनसीएल का यह प्रयास है कि पुनर्वास प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह बनाते हुए विधिसम्मत तरीके से परियोजना प्रभावित परिवारों को अधिकतम लाभ पहुंचाया जाय। इस दिशा में एनसीएल, सकारात्मक प्रयास करते हुए कलेक्टर गाइडलाइन में वर्णित अलग-अलग दरों के जगह पर अधिकतम दर वाले वार्ड दर को समान रूप से सभी वार्डों पर लागू करने जा रही है।
कलेक्टर गाइडलाइन में मार्ग के आधार पर रेट का तीन तरह से वर्गीकरण किया गया है जिनमें ‘मुख्य मार्ग’, ‘डब्लूबीएम एवं अन्य मार्ग’ व ‘मार्ग से हटकर’ श्रेणियों के लिए अलग-अलग रेट निर्धारित हैं। जिनमे अधिकतम रेट ‘मुख्य मार्ग’ का होता है। एनसीएल द्वारा ‘मोरवा पुनर्स्थापन’ के मुआवजा गणना हेतु ‘मुख्य मार्ग’ के रेट को सभी वार्डों पर समान रूप से लागू किया जा रहा है, जिससे प्रभावित परिवारों को अधिकतम मुआवजा मिल सके।
मोरवा के वार्ड क्रमांक 07 में पंजरेह और झिंगुरदा हल्का के हिस्से आते हैं जिनमें पंजरेह हल्का का दर झिंगुरदा से अधिक है। वार्ड क्रमांक 07 के दोनों गांवों के परिवारों को समान एवं अधिकतम दर देने के उद्देश्य से पंजरेह की दर को दोनों गांवों पर समान रूप से लागू किया जा रहा है ।
इसके अतिरिक्त, 500 वर्ग मीटर तक की लघु कृषि भूमि के भू-स्वामियों को आवासीय भू-स्वामियों के समकक्ष मुआवजा हेतु ‘ड्राफ्ट’ आर एंड आर स्कीम में प्रावधान किया गया है। साथ ही इस भूमि पर भी आवासीय भू- स्वामियों के समकक्ष 12% की दर से ब्याज देने का प्रावधान भी है।
ऐसे परिवार जिनके स्वामित्व में कोई भूमि नहीं है किन्तु शासकीय भूमि पर निवासरत हैं तथा प्राथमिक आजीविका प्रभावित हो रही है, उन्हें भू-अर्जन क्षेत्र में आवासरत मानते हुए प्रभावित परिवार की संबन्धित श्रेणी में शामिल करते हुए तदानुसार पात्रता दी जाएगी।
‘आर एंड आर स्कीम’ को समावेशी बनाने के उद्देश्य से एनसीएल ने ‘ड्राफ्ट आर एंड आर स्कीम (प्रारूप)’ को संबंधित मंचों से साझा किया है जिससे कि प्रारूप को अंतिम रूप देने से पूर्व उनके (विभिन्न मंचों के) विधिसम्मत सुझावों को प्रारूप में जोड़ा जा सके।
गौरतलब है कि एनसीएल द्वारा लागतार मोरवा पुनर्स्थापन प्रक्रिया को प्रभावित परिवारों के हित में समावेशी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।