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राज्यसभा को सौंपी गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जेल प्रशासन ऐसे कैदियों को जेल में रखने पर उनकी रिहाई के लिए जरूरी जमानत राशि से अधिक पैसा खर्च कर रहा है। गरीब कैदियों के जुर्माने की रकम चुकाने के लिए आंध्र प्रदेश जेल विभाग की ओर से शुरू की गई ‘च्युथा निधि’ की तर्ज पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक कोष बनाया जाना चाहिए।
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि भारतीय जेलों में 70 प्रतिशत कैदी विचाराधीन हैं। उन्हें जमानत न मिलने या जुर्माना न चुका पाने के कारण जेलों से रिहा नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जेलों में हर प्रवेश द्वार पर निगरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि मादक पदार्थों का पता लगाया जा सके।