दुनियाभर में महिलाएं हार्मोनल उतार-चढ़ाव, पोषण में कमी और लाइफस्टाइल से संबंधित समस्याओं के कारण कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का शिकार होती जा रही हैं। पिछले 30 वर्षों में दुनियाभर की महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले 130% से अधिक बढ़ गए हैं। तीन दशकों में मधुमेह के मामले भी दोगुने हो गए हैं।
पिछले 25-30 वर्षों में वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ा है। नॉन कम्युनिकेबल डिजीज हों या संक्रामक बीमारियां, ये दोनों स्वास्थ्य क्षेत्र पर लगातार दबाव बढ़ाती जा रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से ये दिन मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं की सेहत से संबंधित चुनौतियों पर भी ध्यान देने का है।
आने वाले वर्षों में इन समस्याओं की दर और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है जिसको ध्यान में रखते हुए कम उम्र से ही कुछ सावधानियां जरूर बरतें। महिलाओं की सेहत से पूरे परिवार का सेहत जुड़ा हुआ होता है इसलिए इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देना और भी जरूरी हो जाता है।
आर्थराइटिस बढ़ा रही है जीवन की चुनौतियां
महिलाओं पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। हालांकि जिस तरह से महिलाओं में हड्डियों से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है, इससे दैनिक जीवन में कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले 30 वर्षों में दुनियाभर की महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस और इसके कारण होने वाली जटिलताओं के मामले 130% से अधिक बढ़ गए हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण जोड़ों के बीच की कार्टिलेज धीरे-धीरे खराब होने लगती है। इससे जोड़ों में दर्द, सूजन का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, मेनोपॉज की उम्र के बाद महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं। मेनोपॉज (अमूमन 55 की उम्र के बाद) के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस का बड़ा कारण माना जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति दैनिक जीवन के सामान्य काम-काज, यहां तक कि चलने-उठने में भी बाधा उत्पन्न कर देती है।