Saturday, June 21, 2025
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US: सीनेट के सामने पेश हुए जय भट्टाचार्य, ट्रंप ने नियुक्त किया है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का निदेशक

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जय भट्टाचार्य एक फिजिशियन और स्वास्थ्य अर्थशास्त्री हैं। भट्टाचार्य ने कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगाने के फैसले का विरोध किया था। जय भट्टाचार्य बुधवार को सीनेट की स्वास्थ्य, शिक्षा और श्रम पेंशन समिति के समक्ष पेश हुए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतवंशी जय भट्टाचार्य को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का अगला निदेशक बनाने का एलान किया था। बुधवार को अपनी नियुक्ति की पुष्टि के लिए जय भट्टाचार्य सीनेट के सामने पेश हुए। सीनेट के सामने पेशी के दौरान जय भट्टाचार्य ने वादा किया कि वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में ऐसा माहौल बनाएंगे, जहां मुक्त भाषण और विज्ञान संबंधी मतभेदों को पूरी जगह दी जाएगी। एनआईएच देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान और वित्त पोषण संस्थानों में से एक है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में विचारों की भिन्नता बेहद जरूरी है। जय भट्टाचार्य एक फिजिशियन और स्वास्थ्य अर्थशास्त्री हैं। भट्टाचार्य ने कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगाने के फैसले का विरोध किया था। जय भट्टाचार्य बुधवार को सीनेट की स्वास्थ्य, शिक्षा और श्रम पेंशन समिति के समक्ष पेश हुए।

कौन हैं जय भट्टाचार्य?
जय भट्टाचार्य का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ। वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे। जहां उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ आर्ट्स और फिर मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) की डिग्री हासिल की और साल 2000 में अर्थशास्त्र में पीएचडी किया। ट्रंप ने जय भट्टाचार्य की नियुक्ति का एलान करते हुए कहा कि जय भट्टाचार्य मौजूदा समय में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्वास्थ्य नीति के प्रोफेसर हैं और नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में रिसर्च एसोसिएट के तौर पर काम कर रहे हैं। वे स्टैनफोर्ड में स्वास्थ्य और उम्र से जुड़े जनसांख्यिकी और अर्थशास्त्र केंद्र के निदेशक हैं। उनकी रिसर्च स्वास्थ्य के अलावा कमजोर आबादी की बेहतर देखभाल से जुड़ी है। उनकी रिसर्च अर्थशास्त्र, कानून से लेकर स्वास्थ्य नीति के जर्नल्स तक में छपी हैं।

कोरोनाकाल के दौरान लॉकडाउन का किया था विरोध
जय भट्टाचार्य ने कोरोनाकाल में लॉकडाउन का विरोध किया था। उन्होंने सरकार के कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों और मास्क नीति का भी विरोध किया था। उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए इसे लोगों में फैलने देने और हर्ड इम्युनिटी के पक्ष में तर्क दिए थे। हालांकि, अपने विचारों के लिए उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

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