समय के साथ आदिवासी संस्कृति के साथ आधुनिकता की झलक भी इस त्यौहार में शामिल हो चुकी है। सन ग्लासेस, ईयर फोन, सेल्फी भी मेलों में दिखाई देती है, लेकिन पारंपरिक गीत, पकवान और आदिवासी संस्कृति ने आज भी पुरानी परंपरा की खुशबू को ताजा कर रखा है।
जाते हुई वसंत ऋतु की खुशनुमा बयार, खिलते फूल, हवा में इठलाते ताजा-ताजा पत्ते और मतवाला माहौल काफी होता है आदिवासी समाज के भगोरिया पर्व में चार चांद लगाने के लिए। होली के त्योहार के सात दिन पहले मनाए जाने वाले पर्व का समाज को बेसब्री से इंतजार है।
समय के साथ आदिवासी संस्कृति के साथ आधुनिकता की झलक भी इस त्यौहार में शामिल हो चुकी है। सन ग्लासेस, ईयर फोन, सेल्फी भी मेलों में दिखाई देती है, लेकिन पारंपरिक गीत, पकवान और आदिवासी संस्कृति ने आज भी पुरानी परंपरा की खुशबू को ताजा कर रखा है। भगोरिया मेल में आदिवासी अपने अंदाज में अपनी जिंदगी जीते है और फिर सालभर उनकी यादों का संजो कर रखते है। भगोरिया मध्य प्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन व जिलों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
राजा भोज के समय से शुरूआत
कहा जाता है कि भगोरिया की शुरुआत राजा भोज के समय से हुई। उस समय दो भील राजा कासूमार औऱ बालून ने अपनी राजधानी भगोर में मेले का आयोजन करना शुरू किया थी। जब इसकी ख्याती बढ़ने लगी तो फिर धीरे-धीरे आसपास के भील राजाओं ने भी मेले को अपने-अपने इलाकों में लगाना शुरू कर दिया और इसने एक परंपरा का रुप ले लिया।
यह भी कहा जाता है कि होली के पहले लगने वाले हाट में आदिवासी समाज जमकर रंग-अबीर खेलते है, गुलाल उड़ाते है। इसलिए इसे गुलालिया हाट कर जाता था, लेकिन बाद में व भगोरिया हाट कहलाने लगा। यह भी कहा जाता है कि इस हाट में आदिवासी युवक-युवतियां सज-संवर कर आते है और हाट में रिश्ते भी तय होते है।
भगोरिया को राजकीय उत्सव का दर्जा
मध्य प्रदेश सरकार ने भगोरिया को राजकीय उत्सव का दर्जा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि जनजातीय समाज के जितने भी त्यौहार है, प्रदेश सरकार उसे राजकीय स्तर पर मनाएगी।
कब कहां लगेगा भगोरिया
– 07 मार्च से 13 मार्च 2025
07 मार्च (शुक्रवार)
वालपुर, कठ्ठीवाड़ा, उदयगढ़ कदवाल, सेजावाडा, वडी
08 मार्च (शनिवार)
नानपुर, उमराली, कदवाल, बलेड़ी
09 मार्च (रविवार)
छकतला, कुलवट, सोरवा, आमखुट, झिरन, कनवाड़ा, अजन्दा
10 मार्च (सोमवार)
अलीराजपुर, आजाद नगर, बड़ागुड़ा, कुंड़वाट
11 मार्च (मंगलवार)
बखतगढ़, आम्बुआ, अंधरवाड़ा, अम्बाडबेरी