विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह वैदिक घड़ियां विशेष तरीके से तैयार की जा रही है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही लगभग 189 भाषाएं रहेंगी। घड़ी की विशेषता की बात की जाए तो इसे विशेष चिप के माध्यम से तैयार किया जा रहा है जिससे बिजली चले जाने पर भी यह घड़ी बंद नहीं होगी और इसका समय अपने आप चलता रहेगा।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी विश्व की पहली ऐसी घड़ी है, जो कि भारतीय काल गणना पर आधारित है। घड़ी के लोकार्पण के एक वर्ष बाद आगामी 30 मार्च 2025 को विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के एप का लोकार्पण होने वाला है। साथ ही वैदिक घड़ी के छोटे स्वरूप की लगभग 100 से अधिक घड़ियों का भी निर्माण किया जा रहा है जो कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ऐसे प्रमुख स्थानों पर लगाई जाएगी, जिससे हमारे देश का मान बढ़ेगा। याद रहे कि 29 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण किया था।
कुछ दिनों पूर्व भोपाल में आयोजित ग्लोबल समिति के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस वैदिक घड़ी का छोटा स्वरूप भेंट किया था। जिसे प्रधानमंत्री ने सराहा भी था। वर्तमान में इस प्रकार की वैदिक घड़ी विक्रमादित्य शोधपीठ कार्यालय में लगी हुई है, लेकिन जल्द ही इस प्रकार की 100 से अधिक वैदिक घड़ियां अब देश-विदेश में भी भेजी जाएंगी। शुरुआती दौर में प्रधानमंत्री कार्यालय और नए संसद भवन में इसे लगाया जाएगा।
बिजली चले जाने पर भी यह घड़ी बंद नहीं होगी
विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह वैदिक घड़ियां विशेष तरीके से तैयार की जा रही है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही लगभग 189 भाषाएं रहेंगी। घड़ी की विशेषता की बात की जाए तो इसे विशेष चिप के माध्यम से तैयार किया जा रहा है जिससे बिजली चले जाने पर भी यह घड़ी बंद नहीं होगी और इसका समय अपने आप चलता रहेगा।