डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि बच्चे को युगांडा की राजधानी कंपाला में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मंगलवार को उसकी मौत हो गई। WHO ने कहा कि वे निगरानी और संपर्क ट्रेसिंग को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं।
पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में इबोला से एक चार साल के बच्चे की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इबोला से यह दूसरी मौत है। इससे पहले, 30 जनवरी को एक वार्ड बॉय की प्रकोप घोषित होने से एक दिन पहले मौत हुई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बच्चे की मौत स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो प्रकोप के जल्दी खत्म होने की उम्मीद कर रहे थे।
बच्चे की मौत ने अधिकारियों के दावे को कमजोर किया
बच्चे की मौत ने युगांडा के अधिकारियों के उस दावे को कमजोर कर दिया, जिसमें कहा गया था कि फरवरी की शुरुआत में आठ इबोला मरीजों को ठीक कर छु्ट्टी दे दी गई थी, जिसके बाद प्रकोप नियंत्रण में था।
कंपाला में हुई थी वार्ड बॉय की मौत
इससे पहले, वार्ड बॉय ने कंपाला और पूर्वी युगांडा के कई अस्पतालों में इलाज करवाया था। वह बीमारी का उपचार कराने के लिए एक पारंपरिक चिकित्सक के पास भी गया था। बाद में, कंपाला में उसकी मौत हो गई थी।
वार्ड बॉय के संपर्क में आने से आठ लोगों को हुआ था इबोला
वार्ड बॉय के संपर्क में आने से आठ लोग इबोला से ग्रस्त हो गए थे। उनके सफल इलाज ने स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को आशा दी थी कि प्रकोप खत्म हो गया है, लेकिन वे अभी भी इसके स्रोत की जांच कर रहे हैं।
इबोला के प्रसार को रोकने के लिए संपर्कों का पता लगाना जरूरी
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इबोला के प्रसार को रोकने के लिए संपर्कों का पता लगाना जरूरी है, और युगांडा में इबोला के सूडान स्ट्रेन के लिए कोई स्वीकृत वैक्सीन नहीं है। WHO के अनुसार, युगांडा के विभिन्न सीमा पार बिंदुओं पर प्रतिदिन 20,000 से अधिक यात्रियों की इबोला के लिए जांच की जाती है।
डब्ल्यूएचओ ने युगांडा को दिए 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर
WHO ने युगांडा को इबोला प्रतिक्रिया का समर्थन करने के लिए कम से कम 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं, लेकिन यूएसएआईडी के 60% विदेशी सहायता अनुबंधों को खत्म करने के अमेरिकी प्रशासन के फैसले के कारण धन की कमी की चिंता है।
अमेरिकी सहायता में कटौती से कई गैर-सरकारी समूहों के काम पर पड़ा असर
युगांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक चार्ल्स ओलारो ने कहा कि अमेरिकी सहायता में कटौती से कई गैर-सरकारी समूहों के काम पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘चुनौतियां हैं, लेकिन हमें नई वास्तविकता के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है।’