केमिस्ट्री की पढ़ाई करने या कराने वाला कोई शख्स अगर केमिकल्स का जुगाड़ कर ले, कहीं वीराने में इन्हें ‘पकाकर’ कुछ ऐसा बनाने में कामयाब हो जाएं जिसकी कीमत देश-विदेश में सोने से भी महंगी हो और इस सबके पीछे जिसका दिमाग काम कर रहा हो, उसकी फैमिली लाइफ अच्छी खासी डिस्टर्ब हो, कहानी की ये लॉग लाइन सुनकर आपको कुछ याद आता है क्या? जी हां, ओटीटी पर नशीले पदार्थों के सेवन, इनके निर्माण और इनके कारोबार पर बनी सबसे लोकप्रिय सीरीज ‘ब्रेकिंग बैड’ की कहानी एक लाइन में यही है। घर में नोटों को छिपाने की जद्दोजहद चल रही हो, घर का दूसरा सदस्य आकर कुछ ऐसा कर दे कि नोट हवा में उड़ने लगें, ‘ब्रेकिंग बैड’ का ये सीन तो आपको याद ही होगा। नशा करने की कहानियों पर बनी फिल्मों और सीरीज का ऐसा ही एक घोल तैयार किया है, फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी की कंपनी एक्सेल एंटरटेनमेंट ने नेटफ्लिक्स के लिए बनाई अपनी पहली फिक्शन सीरीज ‘डब्बा कार्टेल’ में।
तीसरे डॉन से पहले देखिए फरहान अख्तर के ‘बच्चा डॉन’, गजराज और शबाना के कंधों पर टिकी सीरीज
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नाम सुनकर पहला आभास यही होता है कि ये सीरीज मुंबई के डिब्बा वालों की जिंदगी में घुस आए नशा कारोबार पर बनी होगी, लेकिन गनीमत है कि दुनिया भर में अपनी कर्तव्यनिष्ठा के लिए मशहूर रहे मुंबई के डिब्बा वालों को इससे दूर ही रखा गया है। वेब सीरीज बनाने वालों ने ये पूरी मेहनत जिस लिए भी को लेकिन इसका सामाजिक परिवेश बहुत गड़बड़ है। सास-बहू मिलकर नशीले पदार्थों का कारोबार कर सकती हैं, ये आप ‘सास, बहू और फ्लेमिंगो’ में पहले ही देख चुके हैं। हां, शबाना आजमी और शालिनी पांडे की सास-बहू की जोड़ी यहां बेहतर है। बेटालाल के किरदार में भूपेंद्र जड़ावत हैं। भगवान ऐसा भोला पति सबको दे जिसको यही नहीं समझ आ रहा कि उसकी जर्मनी यात्रा के लिए मोटी रकम जुटा रही उसकी बीवी कर क्या रही है? सीरीज का एक सीन खासतौर से नोट करने लायक है और वह है सोसाइटी के गणपति उत्सव कार्यक्रम में छोटे छोटे बच्चों को ‘डॉन’ की पोशाक पहनाकर शाहरुख खान वाला सिग्नेचर पोज बनवाना और उनसे गवाना, ‘मुझको पहचान लो, मैं हूं कौन..!’ गांधी, नेहरू, बोस का रूप धरकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आने वाले बच्चों के लिए ये नया ‘आदर्श’ फिल्म कंपनी एक्सेल एंटरटेमेंट के कर्ता-धर्ताओं फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी ने गढ़ा है जो महीनों से इस फ्रेंचाइजी की अगली फिल्म के लिए रकम का जुगाड़ करते घूम रहे हैं। और, हाल ही में जापानी एनीमेशन फिल्म ‘रामायण’सिनेमाघरों में बहुत ही खराब हिंदी सब टाइटल्स के साथ रिलीज कर चुके हैं।
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