Friday, June 20, 2025
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पड़ोसी देश में कांपी धरती, भूकंप के झटकों से सहमे लोग; रिक्टर स्केल पर 5.5 रही तीव्रता

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पड़ोसी देश नेपाल में भूकंप के झटके लगने की खबर है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई। फिलहाल, राहत की बात यही है कि भूकंप में जानमाल के नुकसान या किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

नेपाल में 5.5 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे हैं। पड़ोसी देश में धरती कांपने के कारण लोगों के भीतर दहशत का माहौल है। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक गुरुवार आधी रात के बाद करीब 2.36 बजे आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.5 मापी गई। भूकंप का केंद्र धरती से 10 किलोमीटर की गहराई में रहा। नेपाल की सीमा से सटे बिहार के कई जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके लगने से लोग सहम गए। दहशत के चलते लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।

दो बार लगे झटके, सिंधुपालचौक जिले के भैरवकुंडा में भी कांपी धरती
खबरों के मुताबिक करीब 15 मिनट के अंतराल पर एक और झटका लगा। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई। इस भूकंप का केंद्र हिमालयी राष्ट्र के मध्य क्षेत्र में सिंधुपालचौक जिले में था। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र की वेबसाइट पर जारी सूचना के मुताबिक सिंधुपालचौक जिले के भैरवकुंडा में लगभग 2:51 बजे (स्थानीय समय) भूकंप के झटके महसूस किए गए। पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में भूकंप के तेज झटके लगे।

प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का आकलन कर रहे अधिकारी 
नेपाल की सीमा से सटे भारत और तिब्बत, चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। स्थानीय अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का आकलन कर रहे हैं। नेपाल में विनाशकारी भूकंपों के इतिहास को देखते हुए अधिकारियों ने निवासियों को संभावित झटकों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है।
एक हफ्ते के भीतर दूसरा झटका
इससे पहले विगत 22 फरवरी को भी भूकंप के कारण धरती डोली थी। नेपाल के अलावा उत्तराखंड और लखनऊ तक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इस झटके के बारे में लखनऊ के आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया था कि भूकंप का केंद्र लखनऊ से 310 किलोमीटर उत्तर उत्तर पूर्व की ओर था। उत्तराखंड में जोशीमठ के पास भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

असम में 5.0 तीव्रता का आया था भूकंप
इससे पहले, 27 फरवरी को असम के मोरीगांव में भूकंप के झटके महसूस किए गए। आधी रात करीब 2.25 बजे धरती हिली। इस दौरान रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 दर्ज की गई।
एक हफ्ते के भीतर दूसरा झटका
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इससे पहले, 27 फरवरी को असम के मोरीगांव में भूकंप के झटके महसूस किए गए। आधी रात करीब 2.25 बजे धरती हिली। इस दौरान रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 दर्ज की गई।
भूकंप के दौरान क्या करें
भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें। इस बात के प्रति सतर्क रहें कि कौन-से भूकंप वास्तव में इसकी पूर्व-चेतावनी देने वाले भूकंप के झटके होते हैं और बाद में बड़ा भूकंप भी आ सकता है। धीरे-धीरे कुछ कदमों तक सीमित हलचल करें जिससे पास में किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और भूकंप के झटकों के रुकने पर घर में तब तक रहें जब तक कि आपको यह सुनिश्चित हो जाएं कि बाहर निकलना सुरक्षित है।यदि आप घर के अंदर हों

  • आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाएं, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे शरण लें या तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। यदि आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं।
  • किसी आंतरिक दरवाजे के लेंटर, किसी कमरे के कोने में, किसी मेज या यहां तक कि किसी पलंग के नीचे रुककर अपने आपको बचाएं।
  • शीशे, खिड़कियों, दरवाजों तथा दीवारों से दूर रहें या ऐसी कोई चीज जो गिर सकती हो (जैसे लाइटिंग फिक्सचर्स या फर्नीचर), से दूर रहें।
    क्यों आता है भूकंप?
    पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

    जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
    भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
    कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता और क्या है मापने का पैमाना?
    भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

    कितनी तबाही लाता है भूकंप?

    रिक्टर स्केल असर
    0 से 1.9 सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
    2 से 2.9 हल्का कंपन
    3 से 3.9 कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर
    4 से 4.9 खिड़कियां टूट सकती हैं और दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
    5 से 5.9 फर्नीचर हिल सकता है।
    6 से 6.9 इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
    7 से 7.9 इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
    8 से 8.9 इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। सुनामी का खतरा।
    9 और उससे ज्यादा पूरी तबाही, कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी।
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