Saturday, June 21, 2025
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इस राज्य में एचआईवी फैलने की दर सबसे अधिक, ज्यादातर लोग इस वजह से हो रहे संक्रमित; हो जाइए सावधान

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देश के कुछ हिस्सों में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर सामने आ रही जानकारियां काफी डराने वाली हैं। मिजोरम में एचआईवी प्रसार की दर सबसे अधिक है, पंजाब के लुधियाना में भी एचआईवी के बढ़ते मामले और इसके कारण गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं।

ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) एक गंभीर संक्रमण है जो एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम (एड्स) रोग का कारण बनता है। वैश्विक स्वास्थ्य के लिए ये गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। भारत में भी इसके मामलों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जताते रहे हैं। कुछ दशकों पहले तक एड्स को लाइलाज रोग माना जाता था, हालांकि मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास के चलते अब समय पर लोगों में इस संक्रमण का निदान और रोग को फैलने से रोकने के लिए उपचार उपलब्ध हैं। इस दिशा में निरंतर प्रयास भी किए जा रहे हैं।

देश के कुछ हिस्सों में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर सामने आ रही जानकारियां काफी डराने वाली हैं। खबरों के मुताबिक मिजोरम में एचआईवी प्रसार की दर सबसे अधिक है। यहां की 2.73 प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित है। राज्य में बढ़ते संक्रमण के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री लालरिनपुई ने इस बढ़ते संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए संक्रमण से बचाव को लेकर सभी लोगों से अपील की है।

एड्स पर मिजोरम लेजिसलेटिव फोरम की बैठक में उन्होंने एचआईवी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।

मिजोरम के अलावा पंजाब के लुधियाना में भी एचआईवी के बढ़ते मामले और इसके कारण गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। 

मिजोरम में एचआईवी के बढ़ते मामले चिंताजनक

आइजोल में आयोजित बैठक में  महाराष्ट्र राज्य एड्स नियंत्रण संस्था (एमएसएसीएस) परियोजना निदेशक डॉ. जेन आर राल्टे ने बताया कि मिजोरम में जनवरी 2025 तक कुल 32,287 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 5,511 की मौत हो चुकी है। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच ही 1,769 नए मामले सामने आए।

डॉ. राल्टे ने बताया कि इस अवधि के दौरान दर्ज किए गए नए संक्रमणों में से 67 प्रतिशत असुरक्षित यौन संबंध, जबकि 30.44 प्रतिशत संक्रमण संक्रमित सिरिंज के उपयोग के कारण हुए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस संक्रमण की रोकथाम के लिए नियमित रक्त परीक्षण कराने और रोगियों की स्थिति पर ध्यान रखने के लिए एआरटी दवा लेने की सलाह दी है। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) उन दवाओं का एक संयोजन है जो एचआईवी संक्रमण का इलाज करता है। एचआईवी से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए ये दवा लेने की सलाह दी जाती है।

लुधियाना ज्यादातर संक्रमण के लिए ये है मुख्य वजह

मिजोरम के साथ-साथ पंजाब के लुधियाना से एचआईवी को लेकर सामने आ रही जानकारियां भी डराती हैं। खबरों के मुताबिक यहां साल 2024 में 1,658 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।

लुधियाना में एचआईवी के अधिकांश मरीज इंट्रावेनस ड्रग यूजर्स (आईडीयू) हैं, यानी ये लोग ड्रग्स के इंजेक्शन लेते थे, जिसमें संक्रमित सिरिंज के कारण ये रोग हो गया। एचआईवी के मरीजों में आईडीयू का प्रतिशत 2010 में 12.8% था जो 2024 में बढ़कर 59.16% हो गया है।

सिविल अस्पताल के एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिंदर सूद ने मीडिया को बताया कि असंक्रमित सुइयों को साझा करने के कारण एचआईवी का शिकार पाए जाने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहले लोगों में वायरस फैलने का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध था लेकिन अब सिरिंज साझा करने के कारण इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं।

पिछले साल त्रिपुरा में फैला था संक्रमण

इससे पहले जुलाई 2024 में त्रिपुर के कुछ स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र संक्रमित पाए गए थे। जुलाई के शुरुआती हफ्तों में त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एचआईवी से 47 छात्रों की मौत हो गई है और 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। कई छात्र देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए त्रिपुरा से बाहर भी चले गए हैं।

त्रिपुरा एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने 220 स्कूलों, 24 कॉलेजों और कुछ विश्वविद्यालयों के छात्रों की पहचान की थी जो इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाओं का सेवन करते थे। संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए इसे प्रमुख कारण माना जा रहा था।

दुनियाभर में कैसे हैं संक्रमण के हालात

इन सबके बीच एचआईवी संक्रमण को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल के आखिर के महीनों में राहत भरी जानकारी साझा की। रिपोर्ट के मुताबिक साल 1980 के दशक के अंत में इस रोग के बढ़ने के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है जब इसके सबसे कम मरीज रिपोर्ट किए गए हैं। वर्ष 2023 में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या किसी भी समय की तुलना में सबसे कम रही, हालांकि ये संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से अब भी बहुत ज्यादा है।

यूएनएड्स एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में लगभग 1.3 मिलियन (13 लाख) लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए। यह अभी भी एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आवश्यक संख्या से तीन गुना अधिक है।

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