महाकुंभ नगर
आस्था, त्याग व समर्पण के केंद्र तीर्थराज प्रयाग में भक्ति की अद्भुत बयार बही। पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी ”संगम” तट पर माहभर से श्रद्धालुओं की आस्था हिलोरे मार रही है।
संगम और गंगा का हर छोर, हर घाट उसका साक्षी बना। सुविधा की चिंता न किसी से कोई आस। हर कोई महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने की लालसा से तीर्थराज पहुंचा।
स्नान के बाद हर चेहरे पर अद्भुत शांति व आत्मसंतुष्टि का भाव झलकने लगा। प्रसन्नता ऐसी जैसे शिव-शक्ति से उनका साक्षात मिलन हो गया हो। वहीं, बुधवार को दो करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है।
13 जनवरी को शुरू हुआ था कुंभ
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी से आरंभ हुए महाकुंभ की आभा दुनियाभर में फैली। अखाड़ों का वैभव, संतों की तपस्या, नागा संन्यासियों के त्याग ने हर किसी को आकर्षित किया। संतों का सानिध्य पाने के लिए सनातनियों के साथ विभिन्न धर्म और पंथों के लोग तीर्थराज प्रयाग आए।
भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर संगम में डुबकी लगाकर भजन-पूजन में लीन रहे। यह उसी का प्रभाव है कि महाकुंभ के दौरान 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। जो अपेक्षा से काफी अधिक है। महाकुंभ की अब पूर्णाहुति (समापन) की घड़ी आ गई।
आखिरी स्नान पर्व पर देश-विदेश से पहुंचा श्रद्धालुओं का रेला
महाशिवरात्रि स्नान पर्व के साथ महाकुंभ समाप्त हो जाएगा। पुण्य प्राप्ति के लिए आखिरी स्नान पर्व पर देश-विदेश से श्रद्धालुओं का रेला पहुंचा। अंतिम स्नान पर्व को देखते हुए घाटों, पांटून पुलों, मंदिरों में मजिस्ट्रेटों की तैनाती कर दी गई है। संगम तट के विभिन्न घाटों, अरैल के मुख्य स्नान घाट तथा झूंसी के एरावत स्नान घाट को जोन बनाकर जोनल अधिकारियों की तैनाती की गई है।
कुल आठ आइएएस, 40 पीसीएस अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा स्वच्छता कर्मियों की डेढ़ हजार टीमें लगी हैं। सुरक्षा की दृष्टि से सात मुख्य प्रवेश मार्गों में एडीजी और आइजी स्तर के अधिकारियों को तैनात किया गया है। 20 नए आइपीएस लगाए गए हैं। एंबुलेंस, रिवर व एयर एंबुलेंस भी सक्रिय रहेंगी। केंद्रीय अस्पताल से लेकर शहर के अस्पतालों में अलर्ट है। जाम न लगने पाए, इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।
त्रिग्रहीय योग का अद्भुत संयोग
- महाशिवरात्रि पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बनने से श्रद्धालुओं में उत्साह अधिक है।
- फाल्गुन कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 फरवरी की सुबह 9.19 बजे तक रहा।
- इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। जो 27 फरवरी की सुबह 8.08 बजे तक रहेगी।
- चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का योग बनता है। उक्त तारीख पर श्रवण नक्षत्र शाम 4.10 तक है।
- इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र लगेगा।
- मकर राशि में चंद्रमा और कुंभ राशि के सूर्य, शनि व बुध संचरण करेंगे। यह मिलकर अमृत के समान योग बना रहे हैं। जो अत्यंत पुण्यकारी है।