जर्मनी चुनाव में कई सारी अनिश्चितता के बीच रविवार को मतदान हुआ। मतदान के बाद सामने आए एग्जिट पोल में जर्मन विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज़ की रूढ़िवादी पार्टी ने एक मामूली जीत की ओर बढ़ते हुए अपनी स्थिति मजबूत की। वहीं दूसरी ओर जर्मनी के लिए वैकल्पिक पार्टी (एएफडी) ने अपने समर्थन को दोगुना कर लिया।
वहीं चांसलर ओलाफ शोल्ज ने अपने सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स की हार स्वीकार कर ली है। साथ ही इसे निराशाजनक चुनाव परिणाम कहा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनकी पार्टी इस राष्ट्रीय चुनाव में तीसरे स्थान पर रही और उसे युद्ध के बाद का सबसे खराब चुनाव परिणाम मिला।
फ्रेडरिक मर्ज ने क्या कहा…
साथ ही इस मामले में फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि वह गठबंधन सरकार बनाने के लिए तेजी से कदम उठाएंगे, हालांकि यह साफ नहीं था कि यह प्रक्रिया कितनी आसान होगी। ये चुनाव पहले से निर्धारित समय से सात महीने पहले हुए थे, जब शोल्ज का गठबंधन असंतोष और अंदरूनी कलह के कारण टूट चुका था।
बता दें कि इस चुनाव में यूरोपीय अर्थव्यवस्था के लंबे समय से चले आ रहे ठहराव और प्रवासन पर अंकुश लगाने का दबाव प्रमुख मुद्दे रहे। जहां मर्ज ने इस पर सख्त रुख अपनाया था, जिससे चुनाव में घर्षण भी उत्पन्न हुआ। इसके साथ ही यूक्रेन के भविष्य और अमेरिका के साथ यूरोप के संबंधों को लेकर अनिश्चितता का भी असर दिखा।
एक नजर एग्जिट पोल और समीकरण पर
एग्जिट पोल और आंशिक गणनाओं के मुताबिक, मर्ज की यूनियन ब्लॉक को लगभग 29 प्रतिशत वोट मिले, जबकि एएफडी को लगभग 20 प्रतिशत वोट मिले, जो 2021 के चुनाव से दोगुना था। वहीं, शोल्ज के सोशल डेमोक्रेट्स को केवल 16 प्रतिशत वोट मिले, जो उनके पिछले चुनावों के मुकाबले बहुत कम था।
12-13 प्रतिशत वोट ग्रीन्स को
सरकार में शामिल पर्यावरणवादी ग्रीन्स को 12-13 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कट्टर वामपंथी लेफ्ट पार्टी ने उल्लेखनीय वापसी करते हुए 9 प्रतिशत वोट हासिल किए। फ्री डेमोक्रेट्स और सहरा वैगनक्नेच अलायंस जैसे छोटे दल सीट जीतने के लिए जरूरी 5 प्रतिशत समर्थन की सीमा तक पहुंचे।जोसेफ शूस्टर की चिंता
इतना ही नहीं जर्मनी के मुख्य यहूदी संगठन के प्रमुख, जोसेफ शूस्टर ने चिंता जताई कि जर्मनी के एक बड़े हिस्से के मतदाता एक ऐसी पार्टी को वोट दे रहे हैं जो दक्षिणपंथी उग्रवाद को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि यह पार्टी नव-नाजीवाद और कट्टरपंथी विचारों को फैलाने की कोशिश करती है और लोगों के डर का फायदा उठाकर उन्हें असल में कोई ठोस समाधान नहीं देती, सिर्फ दिखावा करती है।
गौरतलब है कि जर्मनी की कुल आबादी 84 मिलियन है, जिनमें से 59 मिलियन लोग ऐसे थे जो संसद के निचले सदन, बुंडेस्टैग के 630 सांसदों को चुनने के हकदार थे। ये सांसद बर्लिन की प्रसिद्ध रीचस्टैग इमारत में अपनी सीटों पर बैठेंगे।