Friday, June 20, 2025
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कमल हासन ने केंद्र की भाषा नीति का विरोध किया:कहा- तमिलों ने भाषा के लिए जान गंवाई, इसके साथ मत खेलो

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तमिलनाडु में ट्राई लैंग्वेज विवाद को लेकर मक्कल निधि मय्यम (MNM) पार्टी के प्रमुख कमल हासन ने कहा- तमिल भाषा उनकी सांस्कृतिक पहचान है। लोगों ने इसके लिए जान गंवाई है। इसके साथ खिलवाड़ न करें।

एक्टर से नेता बने हासन शुक्रवार को चेन्नई में अपनी पार्टी की आठवें स्थापना दिवस पर कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। हासन ने कहा- भाषा के मुद्दों को हल्के में न लिया जाए। तमिलनाडु के बच्चे भी जानते हैं कि उन्हें कौन सी भाषा चाहिए। उनके पास अपनी भाषा चुनने की समझ है।

हासन ने यह बयान केंद्र और राज्य के बीच जारी ट्राई लैंग्वेज विवाद को लेकर दिया है। 2019 में लागू न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत हर राज्य के छात्रों को तीन भाषा सीखनी होंगी। गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। तमिलनाडु में हमेशा से दो भाषा नीति रही है। यहां के स्कूलों में तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है।

तमिलनाडु में लैंग्वेज विवाद बढ़ा…

21 फरवरी 2025: शिक्षा मंत्री बोले- नई शिक्षा नीति में भाषाई स्वतंत्रता केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की।

उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।’

इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने 15 फरवरी को वाराणसी के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु की राज्य सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया था।

16 फरवरी: तमिलनाडु CM स्टालिन बोले- धमकी नहीं सहेंगे तमिलनाडु सीएम ने कहा था कि तमिल लोग ब्लैकमेलिंग या धमकी सहन नहीं करेंगे। अगर राज्य को समग्र शिक्षा के फंड से वंचित किया गया, तो केंद्र को ‘तमिल्स यूनीक नेचर’ यानी तमिलों के मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा।

18 फरवरी: उदयनिधि ने कहा- केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करे तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि ने 18 फरवरी को कहा था कि जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं। केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें। इस बयान के बाद राज्य में सत्तारूढ़ DMK और बीजेपी के बीच केंद्र की ट्राई लैंग्वेज नीति और हिंदी को थोपने को लेकर बहस तेज हो गई। उन्होंने कहा था कि धर्मेंद्र प्रधान ने हमें खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा जब हम तीन-भाषा फॉर्मूला स्वीकार करेंगे। लेकिन हम आपसे भीख नहीं मांग रहे हैं।

के अन्नामलाई बोले- स्कूलों में सर्वेक्षण कराया जाए

तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने 21 फरवरी को मांग की कि सरकारी स्कूलों में सर्वे कराया जाए। इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सा स्टूडेंट कौन सी भाषा सीखना चाहते हैं। रिजल्ट के आधार पर उन भाषाओं की शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

2026 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ट्राई लैंग्वेज को बढ़ावा देगी

इस बीच बीजेपी ने राज्य में ट्राई लैंग्वेज को बढ़ावा देने की मुहिम तेज कर दी है। बीजेपी ने अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में को लेकर 1 मार्च से अभियान शुरू करने की तैयारी में है।

नए अभियान की शुरुआत 2026 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई के देखरेख में होगा। उन्होंने DMK पर 1960 की पुरानी नीति पर अड़े रहने का आरोप लगाया है।

बीजेपी का यह कदम तमिलनाडु में राजनीतिक परिदृश्य में पैर जमाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी को अब तक हुए चुनाव में कामयाबी नहीं मिली है।

बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2016 में राज्य की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 4 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। हालांकि 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का राज्य में कोई खाता नहीं खुल पाया।

NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को 3 भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी 3 भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं।

प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में 3 भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।

गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा

5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।

किसी भाषा को अपनाना अनिवार्य नहीं

राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की स्वतंत्रता है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाएंगे। किसी भी भाषा को अनिवार्य रूप से थोपने का प्रावधान नहीं है।

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