लक्ष्मण गंज में जमीन के नीचे दबे ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का काम जारी है। चंदौसी में बावड़ी की तलाश भूमिगत बड़ी इमारत का रास्ता खोल रही है। अब खोदाई में सीढ़ियां, सुरंग जैसे गलियारों के अलावा कमरे भी नजर आए हैं।
संभल के चंदौसी के मोहल्ला लक्ष्मण गंज में बांकेबिहारी मंदिर के पास खाली प्लॉट में मिली बावड़ी की चौथे दिन भी खोदाई जारी है। अब तक तीन मंजिला बावड़ी की इमारत में नीचे जाने वाली सीढ़ियां नजर आने लगी हैं। खोदाई के लिए नगर पालिका के 50 कर्मचारी लगे हुए हैं। पूरे मामले में प्रशासन नजर बनाए हुए हैं। जमीन के नीचे बावड़ी होने की जानकारी के बाद आसपास के कई गांवों के लोग मौके पर पहुंचने लगे हैं।
लक्ष्मण गंज में जमीन के नीचे दबे ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का काम जारी है। नगर पालिका ने पहले जेसीबी से खोदाई करवाई। गहराई बढ़ने के साथ मशीन काम नहीं कर पाई तो खोदाई का जिम्मा नगर पालिका के कर्मियों को सौंपा गया। खुदाई के दौरान एक ऐतिहासिक ढांचा सामने आने के बाद इसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे हैं। पुरानी बावड़ी मिलने से स्थानीय लोग और प्रशासनिक अधिकारी भी उत्साहित हैं।
इससे पहले, मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मणगंज में बावड़ी की तलाश में तीसरे दिन सोमवार को भी खोदाई की गई। इस दौरान सीढ़ियां सामने आईं। अब तक सुरंग जैसे कुछ गलियारे भी सामने आ चुके हैं। कमरों जैसी आकृति भी मिलने से इस स्थान पर भूमिगत विशाल इमारत की मौजूदगी के संकेत मिल रहे हैं। लक्ष्मणगंज में 17 दिसंबर को खंडहरनुमा प्राचीन मंदिर मिला था। इसे 150 वर्ष पुराना बांकेबिहारी मंदिर बताया गया था। शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में सनातन सेवक संघ के पदाधिकारी ने डीएम को प्रार्थनापत्र देकर लक्ष्मणगंज के ही एक प्लॉट में प्राचीन बावड़ी होने का दावा किया था।
डीएम के आदेश पर तहसील और पालिका की टीम ने मौके पर पहुंच कर बताई गई जमीन पर खोदाई शुरू कराई। एक घंटे की खोदाई में दीवारें दिखने लगीं तो नीचे बावड़ी होने की बात को मजबूती मिली। इसके बाद रविवार को दूसरे दिन खोदाई में कमरों जैसी आकृति मिली। लंबा पक्का गलियारा भी सामने आया, जिससे जुड़े लंबे रास्ते को सुरंग की राह माना जा रहा है।