राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में देश में कैंसर के इलाज की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि भारत में कैंसर का अच्छा इलाज सिर्फ़ 8-10 शहरों में ही उपलब्ध है। उन्होंने किफायती स्वास्थ्य सेवा पर ज़ोर देते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर ही सब कुछ कर सकता है। इसी बीच, आइए जानते हैं कि इस गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी तैयार है।
देश में कैंसर मरीजों की संख्या
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में बताया कि 2024 में भारत में कैंसर के मामलों की संख्या 15 लाख से ज़्यादा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है:
2019: 13.5 लाख
2024: 15.33 लाख
कैंसर के इलाज के लिए सरकार के प्रयास
सरकार ने कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:
अस्पताल और सेंटर: सरकार ने ‘Strengthening of Tertiary Care Cancer Facilities Scheme’ के तहत देशभर में 19 स्टेट कैंसर संस्थान (SCI) और 20 तृतीयक स्तर के कैंसर केंद्र (TCCC) स्थापित करने की योजना बनाई है।
जागरूकता अभियान: तंबाकू और धूम्रपान से होने वाले कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं।
फंड और रिसर्च: ICMR ने पिछले तीन सालों में कैंसर रिसर्च के लिए फंड बढ़ाया है। 2023-24 में यह फंड ₹300 करोड़ तक पहुंच गया था।
डॉक्टरों की संख्या: पिछले तीन सालों में देश में कैंसर विशेषज्ञों (ऑन्कोलॉजिस्ट) की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
किफायती इलाज के लिए योजनाएं
आयुष्मान भारत योजना: आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PMJAY) के तहत, कैंसर का इलाज उपलब्ध है, जिसमें प्रति परिवार सालाना ₹5 लाख तक का खर्च कवर होता है। हाल ही में, इस योजना में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को भी शामिल किया गया है।
सस्ती दवाएं: प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत, 87 तरह की कैंसर की दवाएं और 300 सर्जिकल डिवाइस किफायती दामों पर उपलब्ध हैं।
बड़े शहरों में खर्च का हाल
मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में कैंसर के इलाज पर खर्च के मामले में बड़े शहरों का हाल:
शहर खर्च (लाख में)
दिल्ली 89.05
महाराष्ट्र 1669.74
तमिलनाडु 4617.11
पश्चिम बंगाल 5144.23
यह आंकड़े दिखाते हैं कि सरकार कैंसर से लड़ने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन मोहन भागवत की चिंता इस बात की ओर इशारा करती है कि अभी भी हमें इस दिशा में और अधिक काम करने की ज़रूरत है।