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मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा है कि राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाएगी। नई नीति शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू होगी।
नई नीति शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू होगी
मंगलवार को जारी संशोधित सरकारी आदेश में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय ”सामान्य रूप से” तीसरी भाषा होगी, लेकिन यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें इससे बाहर रहने का विकल्प दिया गया है।
स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि सार्वजनिक जीवन में हिंदी काफी बोली जाती है। इसे सीखने से छात्रों को फायदा होगा और इससे 12वीं कक्षा के छात्रों को भी उच्च शिक्षा में मदद मिलेगी।
मराठी लोगों की छाती में छुरा घोंपने का आरोप लगाया
उन्होंने पाठ्यक्रम के अनुसार मराठी न पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। मराठी संगठनों, कांग्रेस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सरकार पर शुरूआत में इस नीति से पीछे हटने के बाद ”पिछले दरवाजे” से इसे पुन: लागू करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठी लोगों की छाती में ”छुरा घोंपने” का आरोप लगाया।
राज्य में हिंदी को थोपने की इजाजत नहीं दी जाएगी- राज ठाकरे
आलोचकों ने दावा किया कि सरकार का नवीनतम कदम स्कूल शिक्षा मंत्री के पूर्व बयानों के विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्राथमिक कक्षाओं के लिए हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि राज्य में हिंदी को थोपने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद तथा कांग्रेस और मनसे की आलोचना के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि छात्रों के लिए हिंदी सीखने की ”अनिवार्यता” हटा दी गई है तथा अब किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुना जा सकता है।
फडणवीस ने पूरे विवाद को अनावश्यक बताया
उन्होंने पूरे विवाद को अनावश्यक बताया। गौरतलब है कि महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप ‘स्कूल शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2024’ के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में सरकारी संकल्प जारी किया। इसके अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी ”सामान्य रूप से” तीसरी भाषा होगी।
हिंदी मराठी सभी माध्यम के स्कूलों में अनिवार्य भाषा होगी
आदेश में कहा गया है, ”जो लोग हिंदी के विकल्प के रूप में कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं तो उन्हें स्कूल में प्रत्येक कक्षा से 20 छात्रों की अपेक्षा को पूरा करना होगा। ऐसी स्थिति में उस विशेष भाषा के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा या भाषा को आनलाइन पढ़ाया जाएगा। सरकारी संकल्प में यह भी कहा गया है कि मराठी सभी माध्यम के स्कूलों में अनिवार्य भाषा होगी।