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नई दिल्ली
दिल्ली में बीएलके मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हरियाणा के छह वर्षीय अयांश के दिल की दुर्लभ बीमारी का सफल इलाज कर उसे नई जिंदगी दी है। अयांश के दिल में जन्म से केवल एक ही चैंबर था। यह एक अत्यंत दुर्लभ अवस्था है, जिसमें दुनिया भर में एक प्रतिशत से भी कम बच्चे जन्म लेते हैं।
डॉक्टरों ने बताया कि हरियाणा के एक गांव से आए इस मासूम बच्चे को जन्म से ही दिल की एक दुर्लभ बीमारी थी। उसके दिल का केवल एक चैंबर काम कर रहा था। इलाज के लिए अत्याधुनिक ट्रांसकैथेटर फान्टेन प्रोसिजर को अपनाते हुए बच्चे का बिना ओपन हार्ट सर्जरी के इलाज किया।
डॉक्टरों ने बताया कि सामान्य तौर पर दिल में चार चैंबर होते हैं, लेकिन अयांश के दिल में केवल एक ही प्रभावी चैंबर था, जिससे उसके शरीर में ऑक्सीजन की गंभीर कमी रहती थी। नतीजतन, वह अन्य बच्चों की तरह सामान्य गतिविधियां नहीं कर पाता था, जल्दी थक जाता था और होंठ व उंगलियां नीली पड़ जाती थीं।
बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल के हार्ट एंड वस्कुलर इंस्टीट्यूट के एसोसिएट डायरेक्टर, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के डा. गौरव गर्ग ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला मिनिमल इन्वेसिव इंटरवेंशन था, जिसे ग्रोइन के जरिए केवल एक छोटे चीरे से अंजाम दिया गया। इसमें दिल तक पहुंचने के लिए कैथेटर और वायर का प्रयोग करते हुए कवर्ड स्टेंट लगाया गया।
डा. गर्ग ने बताया कि जन्म के समय से ही अयांश का इलाज चल रहा था। छह माह की उम्र में पहली स्टेज के तहत ग्लेन प्रोसिजर किया गया था, जबकि यह दूसरी और अंतिम स्टेज की प्रक्रिया थी। पारंपरिक रूप से यह जटिल ओपन हार्ट सर्जरी होती है, लेकिन बच्चे की उम्र और जोखिम को ध्यान में रखते हुए ट्रांसकैथेटर विकल्प चुना गया।
डा. गर्ग ने बताया कि जन्म के समय से ही अयांश का इलाज चल रहा था। छह माह की उम्र में पहली स्टेज के तहत ग्लेन प्रोसिजर किया गया था, जबकि यह दूसरी और अंतिम स्टेज की प्रक्रिया थी। पारंपरिक रूप से यह जटिल ओपन हार्ट सर्जरी होती है, लेकिन बच्चे की उम्र और जोखिम को ध्यान में रखते हुए ट्रांसकैथेटर विकल्प चुना गया।
सर्जरी के कुछ ही दिनों बाद अयांश के शरीर में ऑक्सीजन स्तर में सुधार देखा गया और नीलापन धीरे-धीरे खत्म होने लगा। डॉक्टरों ने कहा कि यदि समय पर जांच और उपचार न होता, तो मामला गंभीर हो सकता था।