डा. गर्ग ने बताया कि जन्म के समय से ही अयांश का इलाज चल रहा था। छह माह की उम्र में पहली स्टेज के तहत ग्लेन प्रोसिजर किया गया था, जबकि यह दूसरी और अंतिम स्टेज की प्रक्रिया थी। पारंपरिक रूप से यह जटिल ओपन हार्ट सर्जरी होती है, लेकिन बच्चे की उम्र और जोखिम को ध्यान में रखते हुए ट्रांसकैथेटर विकल्प चुना गया।
सर्जरी के कुछ ही दिनों बाद अयांश के शरीर में ऑक्सीजन स्तर में सुधार देखा गया और नीलापन धीरे-धीरे खत्म होने लगा। डॉक्टरों ने कहा कि यदि समय पर जांच और उपचार न होता, तो मामला गंभीर हो सकता था।